रिपोर्ट : LegendNews
महारास के श्रवण से सहज ही में प्राप्त होता है वृन्दावन का वास: गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज
वृन्दावन। रमणरेती क्षेत्र स्थित फोगला आश्रम में गौसेवा परिवार, सीतारामप्यारी सोभासरिया चैरिटेबल ट्रस्ट (कलकत्ता) के तत्वावधान में सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव के छठवें दिन व्यासपीठ पर आसीन श्रीहरिदासी वैष्णव संप्रदायाचार्य विश्वविख्यात भागवत प्रवक्ता आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण जी महाराज ने सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को महारास लीला, मथुरा गमन, कुब्जा पर कृपा, कंस वध, वसुदेव-देवकी की कारावास से मुक्ति, उद्धव-गोपी संवाद और श्रीकृष्ण-रूक्मणी विवाह आदि प्रसंगों की कथा का रसास्वादन कराया।
व्यासपीठाधीन श्रद्धेय आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने महारास लीला का प्रसंग श्रवण कराते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाये जाने वाले पंच गीत, भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी भक्त ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वो भव पार हो जाता है। साथ ही उसे वृंदावन का वास सहज ही में प्राप्त हो जाता है क्योंकि महारास लीला भगवान श्रीकृष्ण की एक अद्भुत व परम रसमयी लीला है जिसे उन्होंने असंख्य ब्रजगोपियों के हृदय की अभिलाषा को पूर्ण करने लिए व अभिमानी कामदेव के अभिमान को नष्ट करने के लिए श्रीधाम वृन्दावन के यमुना तट पर शरद पूर्णिमा की रात्रि को किया था। उन्होंने अनेकों रूपों में अपनी बांसुरी बजाकर संपूर्ण विश्व को ब्रजमंडल की ओर आकर्षित किया।लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला के दर्शनों के लिए समस्त देवी-देवताओं के साथ भगवान शिव भी ब्रज गोपी का स्वरूप धारण कर श्रीधाम वृन्दावन पधारे थे।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की महारास में सम्मिलित ब्रजगोपियां कोई साधारण स्त्रियां नहीं थी। वो पूर्व जन्म के महान तपस्वी ऋषि-मुनि थे जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अपने पति के रूप में पाने के लिए अनन्त युगों तक कठोर तपस्या की थी इसीलिए ब्रजगोपियां भी भगवान श्रीकृष्ण के समान ही परम आनंदमयी व चिन्मयी थीं।
श्रद्धेय आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने रूक्मणी मंगल की कथा सुनाते हुए कहा कि जो भगवत प्रेमी भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं। उनका वैवाहिक सदैव ही खुशहाल और आनंदमय बना रहता है साथ ही उनके वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याओं का भी क्षय हो जाता है।
इस अवसर पर द्वारिकानाथ भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि विवाह की अत्यन्त नयनाभिराम व चित्ताकर्षक झांकी सजाई गई साथ ही विवाह से संबंधित बधाइयों का संगीतमय गायन किया गया।
कार्यक्रम में आयोजन के मुख्य यजमान रमेश कुमार शोभासरिया, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, प्रमुख समाजसेवी दासबिहारी अग्रवाल, पण्डित किशोर शास्त्री, आचार्य राजा पण्डित, पंडित उमाशंकर मिश्रा एवं डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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