उत्तर प्रदेश के मऊ विधानसभा से पूर्व विधायक अब्बास अंसारी के मामले पर आज अपर जिला जज, एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने अब्बास अंसारी की ओर से दाखिल तीन दरखास्त को खारिज कर दिया। दरअसल, निचली अदालत ने मऊ के पूर्व विधायक के खिलाफ हेट स्पीच केस में दो साल की सजा का ऐलान किया था। इसके बाद अब्बास अंसारी की विधायिकी खत्म हो गई। निचली अदालत के फैसले को जिला जज कोर्ट में चुनौती दी गई। 30 जून को आदालत में दोनों पक्षों की बहस पूरी हुई थी। इसके बाद मामले में आदेश को सुरक्षित रख लिया गया था। फैसले के लिए शनिवार का दिन तय किया गया था। शनिवार को एमपी एमएलए कोर्ट जज राजीव कुमार वत्स ने हेट स्पीच के मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ अब्बास अंसारी की दरख्वास्त खारिज कर दिया है।
सरकारी वकील का आया बयान
मामले में शासकीय अधिवक्ता का बयान सामने आया है। सरकारी वकील अजय सिंह ने कहा कि पूर्व विधायक अब्बास अंसारी ने निचले कोर्ट की ओर से सुनाए गए फैसले के खिलाफ जिला कोर्ट में अपनी अपील प्रस्तुत की थी। अपील के साथ उन्होंने तीन आवेदन कोर्ट में दायर किया था। इसमें उन्होंने अंतिम जमानत को नियमित जमानत के रूप में करने की अपील की। 
आवेदन किया गया था कि अंतिम जमानत कंफर्म जमानत कर दिया जाए। इसके अलावा दोष सिद्धि और उसके बाद उनको जो दो साल की सजा सुनाई गई, उस पर स्टे लगा दिया जाए। इन मामलों में कोर्ट का आदेश आया है कि उन्हें 2 वर्ष की सजा मामले में जमानत मिल चुकी है। हालांकि, कोर्ट ने उनके खिलाफ निचली अदालत के फैसले के बरकरार रखा है। 
अजय सिंह ने कहा कि अब्बास अंसारी वर्तमान समय में भी हेट स्पीच केस में दोषी करार हैं। उनको जिला कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। उनके कन्विक्शन पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। 
31 मई को आया था फैसला
अब्बास अंसारी के भड़काऊ भाषण के मामले में सीजेएम कोर्ट ने 31 मई को 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद 1 जून को विधानसभा ने उनकी विधायकी रद्द कर दी। अब्बास के वकील दरोगा सिंह ने इस सजा को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी। यह मामला यूपी चुनाव 2022 का है। चुनाव प्रचार के दौरान 3 मार्च को मऊ के पहाड़पुरा मैदान में जनसभा को संबोधित करते हुए अब्बास अंसारी ने कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था।
अब्बास अंसारी ने चुनावी प्रचार मंच से प्रशासनिक अधिकारियों को धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि चुनाव जीतने के बाद सरकार बनने पर अधिकारियों का हिसाब-किताब किया जाएगा। उनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग पर रोक लगाई जाएगी। अब्बास अंसारी के बयान के बाद चुनाव आयोग ने 24 घंटे का प्रचार प्रतिबंध लगाया था।
अब्बास अंसारी के बयान को भड़काऊ और धमकी भरा मानते हुए मऊ कोतवाली में तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद की तहरीर पर केस दर्ज कराया गया था। यह केस अब्बास अंसारी, उनके भाई उमर अंसारी और चुनावी एजेंट मंसूर अंसारी के खिलाफ दर्ज किया गया था। आईपीसी की धारा 506, 171एफ, 186, 189, 153ए और 120बी के तहत उन पर आरोप गठित किए गए थे। 
-Legend News

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