मथुरा। वृंदावन के छटीकरा रोड पर स्‍थित जिस डालमिया बगीचे से सैकड़ों हरे पेड़ काटने का मामला इन दिनों खासी चर्चा का विषय बना हुआ है, उसे लेकर आज एक बड़ी खबर सामने आई है। 
विश्‍वस्त सूत्रों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार अब तक हुए संपूर्ण घटनाक्रम में खरीदारों के रवैये और उनकी आपराधिक गतिविधियों से खासे नाराज डालमिया परिवार ने अपने बगीचे का सौदा ही कैंसिल कर दिया है। 
सूत्रों के मुताबिक डालमिया परिवार ने बगीचे का सौदा करने वालों को दो-टूक जवाब दे दिया है। उन्‍होंने साफ-साफ कह दिया है कि अब किसी भी कीमत पर बगीचे का सौदा आपके साथ संभव नहीं है। हालांकि फिलहाल इसकी पुष्‍टि करने वाला कोई नहीं है क्‍योंकि सब अपनी-अपनी गर्दन बचाने में लगे हैं।
डालमिया परिवार का कहना है कि खरीदारों ने सौदा करने के बाद जिस तरह 'ब्रीच ऑफ कॉन्ट्रैक्ट' किया, उससे न सिर्फ उनकी आपराधिक मानसिकता का पता लगता है बल्कि यह भी जाहिर होता है कि उनका व्‍यावसायिक नजरिया भी पाक-साफ नहीं है। 
सूत्र बताते हैं डालमिया परिवार ने न तो खरीदारों को इस तरह बगीचे पर काबिज होने की कोई लिखित या मौखिक इजाजत दी थी, और न सैकड़ों हरे वृक्षों को काटने पर सहमत थे। 
डालमिया परिवार तो इस पूरे प्रकरण को लेकर आश्चर्यचकित है कि कैसे कोई इस तरह गैर व्‍यावसायिक तरीका अख्तियार करते हुए आपराधिक कृत्य कर सकता है। कैसे कोई सौदा पूरा हुए बिना विकास प्राधिकरण में नक्शा पास कराने की कोशिश कर सकता है और कैसे उस नक्शे के लिए फर्जी नाम का इस्तेमाल कर सकता है। 
डालमिया परिवार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि शीघ्र ही वो अपने बाग पर अवैध रूप से काबिज होने, हरे वृक्षों का अवैध कटान करने, गलत नाम देकर नक्शा पास कराने की कोशिश करने सहित ऐसी सभी आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्‍त कानूनी कार्यवाही करने जा रहे हैं जिससे स्‍थिति पूरी तरह साफ हो सके।   
डालमिया परिवार की मानें तो उनके घर तक कभी पुलिस नहीं पहुंची, लेकिन सौदेबाजों की ओछी हरकत एवं आपराधिक गतिविधियों ने उनके घर तक पुलिस पहुंचाने का काम किया। 
डालमिया परिवार के मुखिया का आरोप है कि पेड़ काटने के बाद अपनी गर्दन फंसती देख सौदा करने वालों में से किसी ने तो वन विभाग को हमारे नाम बताए, अन्यथा जिस वन विभाग को एफआईआर दर्ज कराते वक्त मथुरा के ही निवासी गुरू कृपा तपोवन के मालिक का नाम मालूम नहीं था और उसने एफआईआर में उसका नाम तक नहीं दिया, उसे पूरे डालमिया परिवार यहां तक कि महिला का भी नाम कैसे पता लगा। 
उनका मानना है कि वन विभाग और फिर पुलिस को परिवार की पूरी जानकारी और कोलकाता का एड्रेस सौदेबाजों में से ही किसी ने मुहैया कराया। 

सौदेबाजों की हरकत से डालमिया परिवार इतने अधिक गुस्‍से में है कि बताया जाता है उसने 'जो बन पड़े वो करने' को कह दिया है लेकिन डील फाइनल करने को तैयार नहीं है। यूं भी कानूनी पचड़ों में फंसने के बाद बाग की डील करना डालमिया परिवार के लिए इतना आसान नहीं होगा। 
सौदा कैंसिल होने से खरीदारों में मचा हड़कंप, निवेशकों में फैली अफरा-तफरी 
डालमिया परिवार द्वारा मौखिक तौर पर सौदा कैंसिल कर देने की सूचना दिए जाने से एक ओर जहां खरीदारों में हड़कंप मच गया है वहीं दूसरी ओर निवेशकों के बीच अफरा-तफरी फैल गई है और वो किसी भी तरह अपना पैसा निकालने को तत्पर हैं। 
एक अनुमान के अनुसार चूंकि डालमिया बाग पर गुरू कृपा कॉलोनी काटने का प्रचार करके और विकास प्राधिकरण से नक्शा पास हो जाने की भ्रामक सूचना देकर सौदेबाजों ने करीब-करीब एक हजार करोड़ रुपया हासिल कर लिया इसलिए निवेशक उनके ऊपर प्लॉटों की रजिस्ट्री कराने का दबाव बना रहे थे। निवेशकों के दबाव में रातों-रात ये खेल खेला गया जिससे ऐसा संदेश दिया जा सके कि अब प्लॉटों की रजिस्ट्री कराने में न देर होगी, और न कोई बाधा आएगी। 
उलटा पड़ गया दांव 
निवेशकों के दबाव में खेला गया यह दांव इस बार सौदेबाजों पर उलटा पड़ गया अन्यथा वह ऐसे कई दांव अपने अन्य रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पर पहले भी लगा चुके थे, और सफल भी रहे। शायद यही कारण रहा कि आपराधिक कृत्यों में शुमार इन हरकतों को करने से पहले जहां कोई भी कारोबारी हजार बार सोचता है और प्रयास करता है कि सब-कुछ प्रक्रिया के तहत पूरा हो जाए, वहीं इन्होंने एक रात में वो सब कर दिया। 
मूल सौदेबाज के होटल पर निवेशकों ने किया जमकर हंगामा 
ये भी ज्ञात हुआ है कि बाग का सौदा कैंसिल होने की जानकारी मिलते ही डालमिया परिवार से सर्वप्रथम सौदा करने वालों में शामिल वृंदावन निवासी व्‍यक्ति के होटल पर कई निवेशक जा पहुंचे और उन्होंने जमकर हंगामा किया। स्‍थिति इतनी बिगड़ गई कि इस मूल सौदेबाज ने खुद को होटल के एक कमरे में बंद करके अपने सीए को सामने कर दिया। सीए ने जैसे-तैसे निवेशकों को समझा कर शांत किया। 
सौदेबाजों के बीच भी पैदा होने लगा है अविश्वास, बैठकों का दौर जारी 
उधर, बताया जाता है कि समय के साथ सौदेबाजों के मध्‍य भी अब अविश्वास पैदा होने लगा है और वो वर्तमान स्‍थितियों के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सारा दोष एक-दूसरे के सिर मढ़ने की कोशिश की जा रही है। मामला कहीं हद से आगे न चला जाए और चौराहे पर हड़िया फूटने से बचाई जा सके, उसके लिए कभी मथुरा तो कभी वृंदावन तथा कभी मथुरा-वृंदावन से बाहर बैठकों का दौर जारी है। इन बैठकों के हालात का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि कई बार इसमें शामिल लोगों के बीच गाली-गलौज तक की नौबत आ चुकी है। 
जो भी हो, लेकिन इतना तो तय है कि डालमिया बगीचे को लेकर उपजे घटनाक्रम ने मथुरा-वृंदावन से लेकर कोलकाता तक रंजिश की नई नींव रख दी है और समय रहते यदि इसे समझदारी एवं कुशलता के साथ नहीं निपटाया गया तो इसके बड़े गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। 
डालमिया बगीचे का सौदा तो अभी भूल ही जाएं, इसका असर रियल एस्‍टेट से जुड़े दूसरे सौदों तथा अन्य कारोबारियों पर भी पड़ने की पूरी आशंका है क्योंकि यह पूरा करोबार अधिकांशत: भरोसे की कच्‍ची डोर तथा कच्‍ची परचियों पर होने वाले लेन-देन से जुड़ा रहता है। 
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी

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