रिपोर्ट : LegendNews
पतंजलि विवि के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, विकसित भारत का सपना और सर्व मंगल की कामना हमारी सांस्कृतिक पहचान
हरिद्वार। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेने वाली पहली राष्ट्रपति बनीं। उन्होंने 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में बेटियों की शिक्षा और प्रगति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय में बेटियों को आगे बढ़ता देख खुशी जताई।
पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के दीक्षा समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि शिक्षित बेटियां भारत माता का गौरव बढ़ाएंगी। अब समय आ गया है कि बेटियों को भी आगे बढ़ाया जाए, जिससे 2047 में विकसित भारत का सपना पूरा हो सके। उन्होंने कहा कि इस बात की खुशी हुई है कि उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं में 64 प्रतिशत छात्राएं हैं।
पदक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं में बेटियों की संख्या बेटों की तुलना में चार गुना है। उन्होंने कहा कि हिमालय के इस अंचल से अनेक पवित्र नदियां तो निकलती ही हैं लेकिन ज्ञान की धाराएं भी निकल रही हैं, उनमें पतंजलि विश्वविद्यालय की धारा भी जुड़ गई है। उन्होंने कहा कि यहां के योग आयुर्वेद को मैं बहुत दिनों से जानती भी हूं, इसका थोड़ा बहुत लाभ मुझे मिल भी रहा है।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन ने कहा कि यह सबसे प्रसन्नता का विषय है कि आज 64 प्रतिशत छात्राओं ने मेडल प्राप्त किया है। हमारी यही बेटियां भारत का गौरव बढ़ाएंगी। आज समय आ गया है कि देश को आगे बढ़ाने के लिए। देश के 140 करोड़ की जनता भी आशा भरी निगाह से देख रही हैं। देश को विकसित भारत बनाने में बेटियां अगर पीछे रह जाएंगी तो विकसित भारत का सपना अधूरा रह जाएगा। रामेदव जी जो प्रयास कर रहे हैं उसकी एकमात्र झलक दिखी है। हरिद्वार का यह पावन क्षेत्र दर्शन का द्वार है। पवित्र परिसर में देवी सरस्वती की आराधना करने वाले सभी बधाई के पात्र हैं। अविरल गंगा की धारा में पतंजलि का योगदान एक धारा के रूप में जुड़ा है। छात्र-छात्राएं और उनके अविभावक भी बधाई के पात्र हैं।
पतंजलि ने योग आयुर्वेद और आध्यात्म से शरीर की विशुद्धियों को दूर करने का काम किया है। महर्षि पतंजलि को मैं प्रणाम करती हूं। महर्षि परंपरा को आज के समाज में बढ़ाया जा रहा है। इस विश्व विद्यालय में शिक्षा और सौंदर्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। यहां के योग आयुर्वेद को बहुत दिनों से जानती हूं। इसका लाभ मुझे मिला भी है। विश्व बंधुत्व की भावना और नूतन ज्ञान का समन्वय व वैश्विक चुनौतियों को स्वीकार्य कर आगे बढ़ रहा है। बसुधैव कुटुंबकम के भाव से इस मनोरम स्थान पर शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिल रहा है। मुझे विश्वास है कि जलवायु परिवर्तन के साथ अन्य चुनौतियों का सामना करने में आप सभी तत्पर रहेंगे। सर्व मंगल की एक कामना हमारी संस्कृति की एक पहचान है।
मुझे विश्वास है विद्यार्थी सदाचार की शिक्षा को प्रसारित करने में पूर्ण सहयोग रहेगा। विज्ञान और आध्यात्म के समन्वय से आदर्श जीवन निर्माण में सहायक होगा। श्रीमद्भागवत गीता के एक अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने भी निष्ठा पूर्वक कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा दी है। तपस्या और सरलता जीवन को शक्ति देने वाले मूल्य अपनाकर आप सभी अपने जीवन को सार्थक बनाएंगे। कठिन तपस्या के द्वारा मां गंगा को धरती पर लाने वाले भागीरथी का अनुसरण कर आप सभी भगीरथ प्रयास करेंगे। इस विश्वविद्यालय ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का मार्ग अपनाया है। मुझे विश्वास है इस विद्यालय के छात्र महत्वपूर्ण योगदान देंगे। आज भारत पूरे विश्व को योग दिवस ही मना रहा है बल्कि इससे पूरे विश्व को स्वास्थ्य का मार्ग दे रहा है। अब पूरे विश्व में यही छात्र-छात्राएं योग प्राणायाम और आध्यात्म को प्रसारित कर विश्व गुरु बनाएंगे। अपने पुरातन भारत का नाम लोग अब जल्द ही सादर से लेंगे। सभी के स्वर्णिम भविष्य की मंगल कामना करती हूं।
युवाओं को नौकरी देने वाला बनाएंगे- सीएम
संबोधन में सीएम धामी ने स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण समेत पतंजलि परिवार के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू कर शोध संस्थानों और आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस से उत्तराखंड जुड़ा है। देहरादून में साइंस सिटी की स्थापना कर रिसर्च को बढ़ावा दे रहे हैं। तकनीति नवाचार और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। हम युवाओं को नौकरी ढूंढने वाला नहीं नौकरी देने वाला बना रहे हैं। शिक्षा क्षेत्र में नकल माफिया को रोकने के लिए सबसे सख्त कानून बनाया गया है। राज्य सरकार सर्वश्रेष्ठ उत्तराखंड के निर्माण के लिए संकल्पित भाव से काम कर रही है। मुझे विश्वास है इस संकल्प को पूरा करने में सभी का सहयोग मिलता रहेगा।
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