मांट/ मथुरा।  कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां स्थ‍ित राधारानी मानसरोवर मंदिर में आज बुधवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। दूर-दराज से आए भक्तों ने राधारानी के दर्शन कर मनौती मांगी और मानसरोवर में आस्था की डुबकी लगाई।

राधा रानी मानसरोवर के महंत जगदीश प्रसाद ने इस स्थान से जुड़ी एक पौराणिक कथा का उल्लेख किया। उनके अनुसार एक बार शरद पूर्णिमा पर बंसीवट में भगवान कृष्ण महारास कर रहे थे, जिसमें राधा सहित हजारों गोपियां शामिल थीं।

महारास की मधुर ध्वनि सुनकर कैलाश पर्वत से भगवान शंकर गोपी रूप धारण कर वहां आ गए। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें पहचान लिया और गोपीश्वर नाम से संबोधित करते हुए अपने समीप सिंहासन पर बिठाया।

इससे राधा जी नाराज होकर वहां से पैदल ही मानसरोवर पहुंच गईं। भगवान श्रीकृष्ण उन्हें तलाशते हुए मानसरोवर पहुंचे और राधा जी को समझाया कि वह कोई साधारण गोपी नहीं, बल्कि स्वयं भगवान शंकर थे।

थकी हुई राधा जी ने पैदल चलने में असमर्थता जताई तो भगवान ने उन्हें अपने कंधे पर बिठा लिया। इसी क्षण भगवान अंतर्ध्यान हो गए। भगवान के अंतर्ध्यान होने पर राधा जी इतनी रोईं कि उनके आंसुओं से मानसरोवर भर गया। मान्यता है कि दुखी राधा रानी ने इसी स्थान पर समाधि ले ली थी।

मांट थाना प्रभारी निरीक्षक जसवीर सिंह ने बताया कि मेले की सभी तैयारियाँ एक दिन पहले ही पूरी कर ली गई थीं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया था।

- Legend News

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