मथुरा। बेहोशी की हालत में आई चरौरा मथुरा निवासी खुशबू (8) पुत्री भारत सिंह को के. डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संध्या लता तथा डॉ. सुमित डागर के प्रयासों से नया जीवन मिला है। लगभग डेढ़ साल की उम्र से डायबिटीज की गिरफ्त में आई खुशबू अब पूरी तरह से स्वस्थ है तथा उसे छुट्टी दे दी गई है।

चिकित्सकों से मिली जानकारी के अनुसार चरौरा मथुरा निवासी खुशबू (8) पुत्री भारत सिंह को 10 अप्रैल को बेहोशी की हालत में के.डी. हॉस्पिटल लाया गया। उस समय उसकी सांसें तेजी से चल रही थीं तथा वह पूरी तरह से बेहोश थी। परिजनों ने बताया कि खुशबू डेढ़ साल की उम्र से बीमार चल रही थी, उसका कई जगह उपचार कराया गया लेकिन कहीं फायदा नहीं मिला। लोगों के परामर्श के बाद बड़ी उम्मीद के साथ के.डी. हॉस्पिटल लाया।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संध्या लता तथा डॉ. सुमित डागर ने बच्ची की कुछ जांचें कराईं। जांचों से पता चला कि उसके शरीर में शुगर की मात्रा 352 है। इतना ही नहीं उसके यूरिन में कीटोन की पुष्टि भी हुई। बच्ची की गम्भीर स्थिति को देखते हुए उसे दो दिन सघन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में रखा गया। चिकित्सकों डॉ. संध्या लता, डॉ. सुमित डागर, डॉ. श्रेया पारलावर के इलाज तथा आईसीयू टीम की सघन निगरानी के बाद खूशबू का शुगर लेवल जहां सामान्य हो गया वहीं वह होश में भी आ गई।       

डॉ. संध्या लता का कहना है कि यदि बच्ची को लाने में कुछ और विलम्ब हो जाता तो उसकी जान भी जा सकती थी। उन्होंने बताया कि डायबिटिक बीमारी एक बार में अपना लक्षण नहीं दिखाती बल्कि खराब जीवन शैली और अन्य कारणों के चलते शरीर में धीरे-धीरे पनपती है तथा वक्त के साथ घातक हो जाती है। डॉ. संध्या लता का कहना है कि अधिक भूख लगना, अधिक पेशाब आना एवं तेजी से वजन कम होना शुगर के लक्षण होते हैं। इस तरह की स्थिति में तत्काल बच्चे को शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखा लेना चाहिए।

डॉ. सुमित डागर का कहना है कि अधिक शुगर बढ़ जाने से दौरे आ सकते हैं, गुर्दे फेल हो सकते हैं, सांस रुक सकती है तथा दिमाग में सूजन आ जाने से जान भी जा सकती है। डॉ. सुमित डागर बताते हैं कि खूशबू को जिस स्थिति में लाया गया उसे ठीक नहीं कहा जा सकता। विभागाध्यक्ष शिशु रोग डॉ. के.पी. दत्ता का कहना है कि कुछ बच्चों में डायबिटीज होने का आनुवंशिक कारण होता है। अगर माता-पिता में से किसी एक को डायबिटीज है, तो बच्चे में डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है। डॉ. दत्ता बताते हैं कि समय पर बीमारी का पता नहीं चलने से मरीज को खतरा बढ़ जाता है तथा कई अन्य बीमारियां होने की आशंका भी रहती है।

डॉ. दत्ता बताते हैं कि चूंकि के.डी. हॉस्पिटल के एनआईसीयू तथा पीआईसीयू में आधुनिकतम उपकरण तथा विशेषज्ञ नर्सेज हैं लिहाजा यहां हर शिशु का अच्छे तरीके से उपचार सम्भव हो पाता है। डॉ. दत्ता का कहना है कि यदि बच्चों को डायबिटीज से बचाना है तो उन्हें खेलकूद की तरफ प्रेरित करें। इतना ही नहीं कम फैट वाला भोजन दें तथा भोजन में प्रोटीन और विटामिन को शामिल करें। फाइबर युक्त भोजन दें तथा जंक फूड खाने से परहेज करें।

खूशबू के पूर्ण स्वस्थ होने से उसके माता-पिता बहुत खुश हैं। खुशबू के पिता भारत सिंह कहते हैं कि कई अस्पतालों में उपचार कराने के बाद आखिरी उम्मीद लेकर के.डी. हॉस्पिटल आया था। बच्ची के पूर्ण स्वस्थ होने पर उन्होंने हॉस्पिटल प्रबंधन तथा डॉक्टरों की टीम की प्रशंसा करते हुए सभी का आभार माना।

आर. के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने खुशबू का समय से सही उपचार करने के लिए चिकित्सकों की टीम को बधाई देते हुए बच्ची के सुखद-स्वस्थ जीवन की कामना की है।

- Legend News
 

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