सचिन पायलट पर लगी राजद्रोह की धारा हटाकर केस एसीबी को ट्रांसफर
जयपुर। राजस्थान के सियासी ड्रामें में अब कुछ फेरबदल हुआ है, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का केस एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को ट्रांसफर कर दिया है। इसमें से राजद्रोह की धारा भी हटा ली है। सचिन पायलट और उनके गुट के विधायकों को एसओजी ने राजद्रोह की धारा के तहत ही नोटिस दिया था। पायलट ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई थी।
इस बीच हाईकोर्ट ने राज्यपाल को पद से हटाने की पिटीशन मंगलवार को खारिज़ कर दी। वकील शांतनु पारीक ने ये अर्जी लगाई थी। उन्होंने विधानसभा का सत्र नहीं बुलाने की वजह से राज्यपाल को हटाने की मांग की थी। राज्यपाल 14 अगस्त से सत्र की मंजूरी दे चुके हैं। ऐसे में कोर्ट ने पारीक की अर्जी को सारहीन बताकर खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट में आज 2 और अर्जियों पर भी सुनवाई होगी।
पहली- गहलोत और पायलट खेमे के विधायकों के वेतन-भत्ते रोकने की मांग से जुड़ी है। अर्जी लगाने वाले विवेक सिंह जादौन का कहना है कि कोरोना की वजह से राज्य की फाइनेंशियल हालत ठीक नहीं, लेकिन विधायक अपने इलाकों में जाने की बजाय होटलों में रुके हुए हैं।
दूसरी- सचिन पायलट गुट के एमएलए भंवरलाल शर्मा की है। उन्होंने विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में एसओजी की एफआईआई रद्द कराने के लिए पिटीशन लगाई थी।
राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी बोले- किसी ने आलाकमान को मैसेज नहीं भेजा
इससे पहले सोमवार को एक बड़ी जानकारी सामने आई। बताया जा रहा है कि सचिन पायलट गुट के कुछ विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान को मैसेज भेजा है कि वे पार्टी से बाहर नहीं जाना चाहते, लेकिन प्रदेश में सीएम का चेहरा बदलना चाहिए। उन्होंने आलाकमान से मांग की है कि सीएम के लिए अशोक गहलोत और पायलट के अलावा किसी तीसरे विकल्प पर विचार किया जाता है तो वे राजी हैं। दूसरी तरफ ऐसे किसी मैसेज की बात से राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने इनकार किया है। उन्होंने कहा कि न तो बागी विधायक आलाकमान से मिले, न ही कोई मैसेज मिला है। वैसे भी पार्टी में वापसी के लिए कोई शर्तें नहीं होती। सबसे पहले तो उन्हें आलाकमान से माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मंगलवार को कहा कि बागी विधायकों को किसी भी बातचीत से पहले हरियाणा की भाजपा सरकार की मेहमाननवाजी छोड़नी पड़ेगी। – एजेंसी