NCLT में टाटा संस के खिलाफ साइरस मिस्त्री की याचिका खारिज़
NCLT में याचिका डालने वाले मिस्त्री की पारिवारिक कंपनियों की हिस्सेदारी टाटा संस में 18.4 प्रतिशत है
नई दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने साइरस मिस्त्री की याचिका खारिज कर दी है। मिस्त्री ने खुद को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाने के आदेश को चुनौती देते हुए एनसीएलटी में याचिका दाखिल की थी। एनसीएलटी ने कहा कि साइरस मिस्त्री को इसलिए हटाया गया था क्योंकि टाटा संस के निदेशक मंडल और उसके सदस्यों का मिस्त्री पर से भरोसा उठ गया था।
मिस्त्री को 24 अक्टूबर 2016 को पद से हटाकर उनके पूर्ववर्ती तथा समूह के मानद अध्यक्ष रतन टाटा को अस्थायी तौर पर कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसके बाद मिस्त्री और टाटा समूह के बीच लंबी कॉपोर्रेट जंग छिड़ गयी थी । दोनों समूहों ने मीडिया में एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाये और अंतत: दिसंबर में मिस्त्री ने समूह की सभी कंपनियों के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया। हटाये जाने से पहले वह चार साल तक टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर रहे।
टाटा संस में दो-तिहाई हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट की तथा 18.4 प्रतिशत मिस्त्री की पारिवारिक कंपनियों की है। शेष हिस्सेदारी टाटा समूह की कंपनियों की है।
साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद शुरू हुए विवाद को लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने अपना फैसला सुना दिया है। सोमवार को एनसीएलटी ने रतन टाटा के पक्ष में फैसला सुनाया. एनसीएलटी ने साइरस मिस्त्री की याचिका को खारिज कर दिया।
साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाए जाने को लेकर दायर इस याचिका पर सुनवाई करते हुए एनसीएलटी ने कहा कि साइरस को कंपनी की संवेदनशील जानकारी लीक करने की वजह से पद से हटाया गया। साइरस ने यह जानकारी आईटी डिपार्टमेंट और मीडिया में लीक की थी।
उल्लेखनीय है कि टाटा संस के बोर्ड ने 24 अक्टूबर, 2016 को साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से तुरंत प्रभाव से हटा दिया था। इसके साथ ही साइरस को टाटा ग्रुप की अन्य कंपनियों से भी बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसके बाद साइरस ने ग्रुप की 6 कंपनियों के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था. इसके साथ ही वह NCLT भी पहुंच गए थे।
-एजेंसी