गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों को भी टैक्स के दायरे में लाएगी मोदी सरकार
मुंबई। देश में टैक्स चोरी पर काफी हद तक लगाम कसने के बाद मोदी सरकार की नजर अब उन विदेशी कंपनियों पर है जो बिना टैक्स चुकाए मोटा मुनाफा कमा रही हैं। भारत में बड़े यूजर बेस वाली गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों को टैक्स दायरे में लाने के लिए बजट में घोषित प्रस्ताव को विस्तार देकर सरकार नॉन-डिजिटल कंपनियों को भी इसके दायरे में लाने जा रही है।
इस मामले से जुड़े दो लोगों ने बताया, इसका मतलब यह है कि भारत में गुड्स या सर्विसेज बेचने वाली सभी कंपनियों को अपने लाभ पर 42 फीसदी तक टैक्स देना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार अगले कुछ सप्ताह में नियमों में बदलाव कर सकती है।
बहुत से टैक्स एक्सपर्ट्स को आशंका है कि इसका असर उन कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर पड़ सकता है जो भारत में केवल वस्तु या सेवा का निर्यात करती हैं।
अशोक माहेश्वरी ऐंड एसोसिएट्स एलएलपी के पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा, ‘सवाल यह है कि क्या भारत के साथ व्यापार करने पर टैक्स है?
यदि भारत के साथ व्यापार करने वाली नॉन-डिजिटल कंपनियों के बिजनेस कनेक्शन/स्थायी प्रतिष्ठान पर यदि टैक्स लगाया जाता है तो यह टैक्स सिस्टम को अस्थिर कर सकता है।’
इस मुद्दे से जुड़े एक अन्य शख्स ने कहा कि नॉन-डिजिटल कंपनियों पर असर अवांछित है। उन्होंने कहा, ‘रेग्युलेशन में डिजिटल कंपनी को डिफाइन करना बहुत मुश्किल है और यदि यह कर भी दिया जाता है तो यह डर रहेगा कि कई कंपनियां इसका गलत फायदा उठा सकती हैं।’
उन्होंने कहा, ‘भारत में करोड़ों रुपये कमाने वाली या ऐसा करने की क्षमता रखने वाली कंपनियों पर यहां टैक्स क्यों ना लागाया जाए? स्थायी प्रतिष्ठान की परिभाषा इस परिस्थिति में बदलने की जरूरत है जब बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां सहायक कंपनियों और टैक्स स्ट्रक्चर की भूलभुलैया के तहत ऑपरेट करती हैं।’
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत दूसरे देशों के साथ मौजूदा टैक्स समझौते के बावूजद ऐसा कर सकता है। ईवाई इंडिया ट्रांसफर प्राइसिंग के नैशनल लीडर विजय अय्यर ने कहा, ‘सलाह प्रक्रिया का परिणाम ऐसे मॉडल के रूप में सामने आए जो डिजिटल इकॉनमी पर लागू हो, लेकिन इसका इस्तेमाल ईंट और गारा बिजनस पर ना हो। नियमों को इस तरह ड्राफ्ट किया जाए कि इसका दुरुपयोग ना हो और केवल भारत के साथ व्यापार करने वाली किसी कंपनी के प्रॉफिट पर 42 फीसदी का बोझ ना पड़े।’
सरकार का फोकस टैक्स हैवन्स से संचालित बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर है जो भारत में ऑपरेट कर रही हैं। इसके लिए सरकार कई देशों के साथ टैक्स समझौते पर भी बातचीत कर सकती है।
-एजेंसी