मायावती ने सातों बागी विधायकों को पार्टी से निलंबित किया
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी में एक बार फिर से बग़ावत हो गई है. मायावती ने गुरुवार को अपने सात बाग़ी विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया. इन विधायकों ने उत्तर प्रदेश में होने वाले राज्यसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार रामजी गौतम का विरोध किया था.
इन सात विधायकों में चौधरी असलम अली, हाकिम लाल बिंद, मोहम्मद मुजतबा, असलम रैनी, सुषमा पटेल, हरगोविंद भार्गव और बंदना सिंह शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों पर नौ नवंबर को चुनाव है. अगले महीने उत्तर प्रदेश में होने वाले राज्यसभा चुनाव में बीएसपी ने अपना एक उम्मीदवार उतारा था.
बीएसपी के 10 विधायकों ने पार्टी के उम्मीदवार के नाम को प्रस्तावित किया था. अचानक से चार विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार बीएसपी के इन चारों विधायकों ने रिटर्निंग ऑफिसर से मुलाक़ात की थी और कहा था कि बीएसपी के सीनियर नेता और राज्यसभा उम्मीदवार रामजी गौतम ने जो नामांकन पेपर भरा है उसमें उनके समर्थन का हस्ताक्षर फ़र्ज़ी हैं.
एक बाग़ी विधायक ने स्वीकार किया है कि उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाक़ात की थी. बीएसपी के कई और विधायकों ने पार्टी से नाराज़गी जताई है.
हालांकि इन विधायकों ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती के बारे में कुछ नहीं कहा है. मायावती ने पूरे घटनाक्रम पर समाचार एजेंसी एएनआई से कहा है लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से गठबंधन के दौरान ही उन्हें अहसास हो गया था कि यह बहुत बड़ी ग़लती हुई है.
मायावती ने कहा, ”हमने फ़ैसला किया है कि भविष्य में उत्तर प्रदेश में होने वाले एमएलसी के चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को हराना है. इसके लिए हमें बीजेपी या किसी अन्य पार्टी को भी वोट देना पड़े तो देंगे. मैं उस बात को भी यहां कहना चाहती हूं कि जब हमने लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ लड़ने का फ़ैसला किया तो इसके लिए कड़ी मेहनत की थी लेकिन गठबंधन के पहले दिन से ही सपा के मुखिया एससी मिश्रा जी से कहते रहे कि अब तो गठबंधन हो गया है तो बहनजी को दो जून 1995 के मामले को भूला कर केस वापस ले लेना चाहिए, चुनाव के दौरान केस वापस लेना पड़ा.”
मायावती ने कहा, ”चुनाव का नतीजा आने के बाद इनका जो रवैया हमारी पार्टी ने देखा है, उससे हमें ये ही लगा कि केस को वापस लेकर बहुत बड़ी ग़लती थी और इनके साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए था. इनका एक और दलित विरोधी चेहरा हमें कल राज्यसभा के पर्चों के जांच के दौरान देखने को मिला. इसमें सफल न होने पर ये ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’ की तरह पार्टी जबरदस्ती बीएसपी पर बीजेपी के साथ सांठगांठ करके चुनाव लड़ने का ग़लत आरोप लगा रही है.”
-BBC