मथुरा: श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका स्वीकार, अगली सुनवाई 18 नवं. को
मथुरा। मथुरा जिला न्यायालय ने श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका स्वीकार कर ली है। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान व सात अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने बताया कि इस मामले में अब अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। कोर्ट ने दूसरे पक्ष को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है। इसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड, ईदगाह मस्जिद व श्री कृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट शामिल हैं।
आपको बता दें कि श्रीकृष्ण विराजमान द्वारा श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग की जा रही है। साथ ही याचिका में ईदगाह को हटाने की भी मांग की गई है। इससे पहले सिविल जज की अदालत से ये याचिका खारिज कर दी गई थी। जिला जज ने आज याचिका स्वीकार कर ली।
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ये है विवाद?
हिंदू पक्ष कृष्ण जन्मभूमि से शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध बता रहा है और उसे हटाने की मांग कर रहा है। साथ ही 13.37 एकड़ भूमि पर अपना स्वामित्व भी वापस मांग रहा है। दावा है कि इस समय जहां मस्जिद है कभी वहां कंस का कारागार था और वहीं पर कृष्ण का गर्भ ग्रह हुआ करता था। मुगलों ने इसे तुड़वा कर वहां शाही ईदगाह मस्जिद बनवा दी। मामले को लेकर मथुरा की सिविल जज कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी लेकिन वहां से याचिका खारिज कर दी गई थी। जिसके बाद हिंदू पक्ष ने जिला जज की कोर्ट में अपील दाखिल की।
कितना पुराना है विवाद?
दावा है कि 1618 में राजा वीर सिंह बुंदेला ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर मंदिर का दोबारा निर्माण कराया था। 1670 में औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करा मूर्तियों को वहां से हटवा दिया। 1770 की गोवर्धन की जंग में मुगल शासकों से जीत के बाद मराठाओं ने फिर मंदिर बनवाया। 1803 में मथुरा में अंग्रेज आए, उन्होंने 1815 में कटरा केशवदेव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि की नीलामी की, जिसे बनारस के राजा पटनीमल ने खरीदा। वो वहां मंदिर बनवाना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। 1944 में ये जमीन पंडित मदन मोहन मालवीय ने 13 हजार रुपये में खरीदी। इसमें जुगल किशोर बिड़ला ने उनकी आर्थिक मदद की। मालवीय की मृत्यु के बाद बिड़ला ने यहां श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाया, जिसे बाद में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना गया।
-Legend News