पाक आतंकी कसाब का ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वाले मथुरा ARTO कार्यालय ने अब मृत युवक के नाम पर बनाया लाइसेंस

मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब का 20 जून 2009 को ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वाले मथुरा ARTO कार्यालय ने फिर एक बड़ा कारनामा कर दिखाया है। अब यहां से 19 अप्रैल 2018 को एक ऐसे युवक का ड्राइविंग लाइसेंस बना दिया गया है जो नवंबर 2017 में ही एक सड़क दुर्घटना के तहत मर चुका है।
गौरतलब है कि मथुरा स्थित ARTO कार्यालय से 20 जून 2009 को कृष्णानगर निवासी एक व्यक्ति के पते पर पाक आतंकी अजमल आमिर कसाब के फोटो सहित एक लाइसेंस जारी किया गया था। 18 सितम्बर 2009 को इसका खुलासा हुआ। आतंकी अजमल आमिर कसाब का फोटो लगा फर्जी लाइसेंस जारी होने के बाद प्रदेशभर के सभी ARTO कार्यालयों में हंगामा खड़ा हो गया।
इस मामले में ARTO कार्यालय मथुरा के आरआई हरेन्द्र सिंह चाहर, वरिष्ठ लिपिक जगदीश रावत व माखन सिंह को सस्पेंड कर दिया और बाद में उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
इसके बाद से देशभर में मथुरा से फर्जी लाइसेंस बनने की जानकारी देते हुए एलर्ट जारी किया गया क्योंकि दिल्ली पुलिस में चालक के पद पर 230 लोग मथुरा से बने फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस के आधार पर नौकरी करते पाए गए। जांच के बाद इन सभी को नौकरी से निकाल दिया गया।
सरकार ने उसके बाद ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी किंतु इस सबके बावजूद फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनने का काम नहीं रुका।
बताया जाता है कि फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनना बंद न हो पाने की मुख्य वजह आरटीओ और ARTO कार्यालयों में व्याप्त जबर्दस्त भ्रष्टाचार है।

इसी भ्रष्टाचार का सहारा लेकर अब किसी ने वीरेन्द्र पुत्र दुर्गपाल निवासी मौहल्ला मसानी, नौगांव तहसील छाता, जिला मथुरा का 19 अप्रैल 2018 को यानि उसकी मौत के करीब 6 महीने बाद ड्राइविंग लाइसेंस, मथुरा ARTO कार्यालय (फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए कुख्यात) से बनवा लिया।
बताया जाता है कि मृतक के नाम से ड्राइविंग लाइसेंस बनने की जानकारी होने पर कल आरटीओ आगरा तथा डिप्टी कमिश्नर ट्रांसपोर्ट ने मथुरा एआरटीओ आकर छानबीन भी की थी किंतु किसी को बिना कोई जानकारी दिए चले गए।
आज इस संबंध में पूछे जाने पर डिप्टी कमिश्नर ट्रांसपोर्ट जगदीश कुशवाह ने मृतक के नाम से ड्राइविंग लाइसेंस बन जाने की पुष्टि तो की किंतु इसके लिए दोषी कौन है, इस बावत जांच के उपरांत ही कुछ बताने को कहा।
जिस युवक के नाम पर मथुरा ARTO कार्यालय से 18 अप्रैल 2038 तक के लिए यह लाइसेंस बना है, उस युवक की मौत जनपद के ही थाना फरह अंतर्गत कुरकंदा मोड़ पर ट्रक द्वारा कुचल दिए जाने के कारण तब हो गई थी जब वह मोटरसाइकिल से अपने एक रिश्तेदार के साथ गांव आ रहा था। इस दुर्घटना का मुकद्दमा थाना फरह जनपद मथुरा में दर्ज कराया गया था।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर मृत युवक के नाम किसने और किस मकसद से यह कम्प्यूटराइज्ड ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया।
बेशक सबकुछ स्पष्ट तो जांच के बाद ही हो पाएगा किंतु इतना तय है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ हल्ला बोलने वाले ”योगीराज” में भी आरटीओ और ARTO कार्यालयों के अंदर जमकर भ्रष्टाचार व्याप्त है और वहां से पैसे के बल पर कुछ भी करा लेना संभव है। फिर चाहे बात किसी पाकिस्तानी आतंकवादी के नाम पर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की हो अथवा 6 महीने पहले ही मर चुके युवक के नाम पर लाइसेंस जारी करने की।
आश्चर्य की बात तो यह है कि फिलहाल मथुरा में ARTO प्रशासन के पद पर बबिता वर्मा नाम एक महिला अधिकारी तैनात है, लेकिन लगता है कि भ्रष्टाचार किसी ”लिंग” का मोहताज नहीं होता।
शायद यही कारण है कि तमाम सरकारी कोशिशों के बावजूद प्रत्येक आरटीओ तथा ARTO कार्यालय में हर काम के दाम निर्धारित हैं और बिना दाम के काम कराना असंभव न सही किंतु अत्यंत कठिन अवश्य बना हुआ है।
-लीजेंड न्यूज़