अगले CJI की नियुक्ति पर कानून मंत्री ने कहा, परंपरा के अनुसार मौजूदा CJI भेजते हैं नाम
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को जस्टिस रंजन गोगोई को अगला मुख्य न्यायाधीश CJI नियुक्त करने के मामले पर स्पष्टीकरण दिया है. सरकार ने कहा है कि उसकी मंशा पर शक करने की कोई वजह नहीं है. एक प्रेस वार्ता में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा परंपरा के अनुसार पहले पद पर मौजूदा CJI नाम भेजते हैं.
रविशंकर ने कहा, ‘मुझे कहना है कि नियुक्ति के बारे में यह सवाल (न्यायमूर्ति गोगोई सीजेआई के रूप में) काल्पनिक है. एक परंपरा है. मौजूदा सीजेआई को अपने उत्तराधिकारी का नाम आगे बढ़ाना होगा. पहले नाम आए. हमारी मंशा पर शक करने की कोई वजह नहीं है.’ रविंशकर प्रसाद ने मोदी सरकार के 4 साल पूरे होने के मौके पर एक प्रेस वार्ता के दौरान यह बाते कहीं.
अगले CJI के रूप में जस्टिस गोगोई की नियुक्ति पर सवाल इस वर्ष जनवरी में चार सबसे सीनियर जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उभरे हैं, जिसमें सीजेआई दीपक मिश्रा की प्रशासनिक मुद्दों पर विशेष रूप से आलोचना की गई थी. जस्टिस जे चेलामेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने भारत के न्यायिक इतिहास में पहली बार ऐसा किया था. जस्टिस गोगोई ने तब कहा था कि चार जज जनता की अदालत के समक्ष हैं क्योंकि वह देश के प्रति अपना कर्ज चुकता करना चाहते थे.
परंपरा के तहत मौजूदा सीजेआई, उत्तराधिकारी का नाम आगे बढ़ाते हैं. यह आमतौर पर सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश होता है जिसे नई सीजेआई के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसा की जाती है लेकिन सिफारिश को केवल और केवल पदाधिकारियों द्वारा ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए.
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान जब पूर्व जस्टिस चेलामेश्वर से सवाल किया गया तो उन्होंने उम्मीद जताई की जस्टिस गोगोई को दरकिनार नहीं किया जाएगा और अगर ऐसा हुआ तो यह उस बात की ‘सच्चाई’ का सबूत होगा जो उन्होंने 12 जनवरी की प्रेस वार्ता में कहा था. अभी तक सुप्रीम कोर्ट में जजों के अधिक्रमण का सिर्फ एक मामला सामने आया है.
इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार ने तीन वरिष्ठ जजों, जेएम सहलत, एएन ग्रोवर और केएस हेगड़े को दरकिनार कर जस्टिस एएन रे को बतौर CJI नियुक्त कर दिया था. इस फैसले को न्यायपालिका पर हमले की तरह देखा गया और कई न्यायिक जानकारों ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया था.
-एजेंसी