मंगल ग्रह पर रोबोट लांच करना अपने आप में प्रयोगशाला
मथुरा। एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विवि लखनऊ के द्वारा जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस के कम्प्युटर विज्ञान विभाग में आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम के अंतिम दिवस डीआरडीओं के पूर्व निदेशक Dr.Vinod Panchal एवं डीआरडीओ के राजभाषा विभाग के निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कुमार सिंघल ने संबोधित किया।
एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विवि लखनऊ के तत्वावधान में जनपद के प्रतिष्ठित जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस के कम्प्यूूटर विज्ञान विभाग में आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम में उत्कृष्ट चर्चाओं और अभिनव शोध प्रस्तुतियों के साथ बीते दिवस समापन हुआ।
कार्यक्रम के अंतिम दिवस मुख्य अतिथि के रुप में पहुंचे डिफेंस टेरैन रिसर्च लैब और डीआरडीओ भारत सरकार के पूर्व निदेशक और वैज्ञानिक Dr.Vinod Panchal ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मानव जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रही है।
Dr.Vinod Panchal ने विजुअल ऐड का सहारा लेकर रिमोट सेंसिंग जैसे विषयों पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार उपग्रह विषय का आदान प्रदान करता है, और सूचनाओं को भौतिक स्टेशन से प्राप्त कर रहा है। उन्होने यह भी दिखाया कि किस प्रकार रोबोट का मंगल ग्रह पर सफल प्रक्षेपण हुआ। यह अपने आप में एक रासायनिक प्रयोगशाला थी जिसमें रोबोट का प्रयोगिक इस्तेमाल भी दिखाया गया।
डीआरडीओ के राजभाषा विभाग के निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कुमार सिंघल ने आखिरी सत्र को संबोधित करते हुए फैकल्टी की भाषा और उसके प्रभाव पर चर्चा कर, प्रतिभागी कई कालेजों के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया। दोनों अतिथियों ने समस्या सुलझाने के आधुनिक तरीकों पर अपने अनुभव साझा किए।
आरके एजुकेशन हब के चैयरमेन डा.रामकिशोर अग्रवाल, वाइस चैयरमेन पंकज अग्रवाल और एमडी मनोज अग्रवाल ने कहा कि सीखना एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। सीखने या साक्षर होने की तुलना में शिक्षा का हमारे जीवन में अधिक महत्वपूर्ण संबंध रखती है। इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल अनुसंधान के नवीन तरीकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं बल्कि शोधकर्ताओं को यह बताने में भी मदद करते हैं कि किसी विषय पर कितना अनुसंधान किया जा चुका है।
जीएल बजाज के निदेशक डा. एलके त्यागी ने कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बढती जटिलताओं और सोफ्टवेयर की व्यापकता के बारे में बात करते हुए कहा कि विश्वनीयता, सुरक्षा, प्रदर्शन और उत्पादकता के लिए क्षेत्र में विभिन्न सामने आईं। उन्होंने जोर देकर कहा कि संकाय को प्रोग्रामिंग भाषा डिजाइन और अर्थशास्त्र में अभिनव तकनीकों का विकास करके इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए। औपचारिक सत्यापन, सोफ्टवेयर परीक्षण और स्वचालित डीबगिंग के लिए तकनीकें एवं उपकरण तथा एम्बेडेड सिस्टम के लिए माॅडल और सत्यापन तकनीक, जो भौतिक संस्थाओं के साथ बातचीत करती है।
उन्होंने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया कि उद्योग, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता का एक उचित स्थान बनाना था।
इस संकाय विकास कार्यक्रम को सह समन्वयक संजीव अग्रवाल, डा. रमाकांत और समन्वयक श्री अंकुर सक्सेना ने एकेटीयू से सम्बद्व संस्थानों से आए प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान कर धन्यवाद दिया।