Missionaries of Charity के केंद्रों पर 280 बच्चों की खोज में पूरे झारखंड छापे
रांची। रांची स्थित मदर टेरेसा की संस्था Missionaries of Charity की संचालक ने उनकी वर्षों की तपस्या को मिट्टी में मिला दिया। मिशनरीज ऑफ चैरिटी की यह शाखा आज बच्चों की खरीद-फरोख्त के बड़े केंद्र के रूप में बदनाम हो गयी है।
रांची स्थित निर्मल हृदय में बच्चे के सौदे के बाद Missionaries of Charity के राज्यभर के 11 सेंटरों पर दबिश बढ़ा दी गई है। संस्था के राज्यभर में स्थित विभिन्न शाखाओं, शेल्टर व एडॉप्शन होम में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। रांची में निर्मला शिशु सदन में शुक्रवार शाम बाल थाना प्रभारी सोहन कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने डेढ़ घंटे तक जांच की। इसके अलावा मेदिनीनगर, गिरिडीह व दुमका में भी संस्था के केंद्र की जांच की गई। मिशनरीज ऑफ चैरिटी के साहिबगंज, दुमका, गुमला, धनबाद, गोड्डा, हजारीबाग और जमशेदपुर जिले में भी सेंटर हैं।

पुलिस मुख्यालय ने दिया आदेश: रांची में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एडॉप्शन सेंटर निर्मल हृदय में बच्चा बेचने की बात सामने आने के बाद पुलिस मुख्यालय ने दस जिलों के एसपी को आदेश दिया है कि संस्था के एडॉप्शन व शेल्टर सेंटर में छापेमारी कर तथ्यों की पड़ताल करें। दूसरे जिलों में भी अवैध तरीके से बच्चा गोद देने या बेचने की बात सामने आने पर कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है। मुख्यालय ने जिलों के एसपी से शनिवार तक कार्रवाई की जानकारी मांगी है।
मदर टेरेसा ने बहुत मेहनत से एक संस्था बनायी थी- Missionaries of Charity। समाज के सबसे पिछड़े और ऐसे लोगों के लिए इस संस्था की स्थापना हुई थी, जिसका दुनिया में अपना कोई नहीं। इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। संत का दर्जा मिला।
एक नवजात की बिक्री का खुलासा होने के बाद नित नये खुलासे हो रहे हैं। अब ऐसे-ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं, जिसकी वजह से संस्था की गतिविधियों पर शक गहराता जा रहा है। पता चला है कि इस संस्था की मदद से जिन बच्चों का जन्म हुआ, उसमें से 280 का कोई अता-पता नहीं है।
बताया गया है कि वर्ष 2015 से 2018 के बीच यहां करीब 450 गर्भवती महिलाएं थीं। इनमें से सिर्फ 170 की डिलीवरी रिपोर्ट ही उपलब्ध है। 280 के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
इसलिए आशंका गहरा रही है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी की आड़ में वर्षों से यहां नवजात का सौदा हो रहा है। इस मामले में खुफिया विभाग पहले भी सरकार को रिपोर्ट देता रहा है। जनवरी, 2016 में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की निर्मल हृदय रांची में 108 गर्भवती महिलाएं थीं। बाद में बाल कल्याण समिति ने जांच में पाया कि इनमें से 10 बच्चों का ही जन्म दिखाया गया. 98 के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, आंध्रप्रदेश में भी ऐसा मामला सामने आया था। बहुत-सी संस्थाओं के माध्यम से बच्चों की खरीद-बिक्री हुई थी। आंध्रप्रदेश सरकार ने इस मामले में सीबीआइ जांच की अनुशंसा की थी।
खबर है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने झारखंड के नवजातों को अवैध तरीके से कोलकाता, केरल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश की Missionaries of Charity की संस्थाओं में फादर, सिस्टर और नन बनाने के लिए भेजा है। अब इसी संस्था द्वारा नवजात शिशुओं को बेचे जाने की खबर सामने आने के बाद पूरे प्रदेश में पुलिस कारगर कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
-एजेंसी