दानघाटी मंदिर केस: जांच से असंतुष्ट वादी हाई कोर्ट पहुंचा, कोर्ट ने SSP मथुरा को दिए निर्देश
गोवर्धन (मथुरा)। दानघाटी मंदिर के सहायक प्रबंधक डालचंद्र चौधरी द्वारा मंदिर के करोड़ों रुपए का गबन कर लेने के मामले में पुलिस की जांच से असंतुष्ट वादी रमाकांत कौशिक ने अब इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया है।
उल्लेखनीय है कि रमाकांत कौशिक पुत्र गिर्राज प्रसाद कौशिक ने ये मामला 25 मई 2019 को गोवर्धन थाने में धारा 406 व 420 के तहत दर्ज कराया था। केस दर्ज होने के बाद इसकी जांच इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र को सौंपी गई। हालांकि बाद में यह जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई।
आरोपी सहायक प्रबंधक डालचंद चौधरी फिलहाल मथुरा जिला जेल में बंद है और जमानत पाने की कोशिश कर रहा है।
इधर वादी रमाकांत कौशिक के अनुसार करोड़ों रुपए का गबन होने के केस की जांच की जांच क्राइम ब्रांच भी कछुआ गति से कर रही है जिसका पूरा लाभ आरोपी डालचंद चौधरी को मिलने की संभावना है।
कानून के जानकारों की मानें तो विवेचना में देरी का सीधा लाभ आरोपी को मिलता है, साथ ही जांच को प्रभावित करने की भी पूरी संभावना रहती है।
दानघाटी मंदिर से जुड़े गबन के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी का स्पष्ट कहना है कि आईओ द्वारा जांच में देर करने से आरोपी को जमानत मिलना तो आसान होगा ही, साथ ही उन लोगों को जिनके नाम जांच के दौरान सामने आ सकते हैं, जांच प्रभावित करने तथा सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का अवसर मिलेगा।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि डालचंद चौधरी को फिलहाल भले ही इस केस में एकमात्र आरोपी बनाया गया है किंतु सब जानते हैं कि मंदिर की संपत्ति का गबन करने के इस खेल में डालचंद चौधरी अकेला खिलाड़ी नहीं है। इस खेल में न सिर्फ मंदिर से जुड़े बल्कि बाहर रहकर तमाशा देखने वाले भी कई प्रभावशाली लोग शामिल हैं। ये लोग जांच को प्रभावित करने तथा सबूतों से छेड़छाड़ करने में पूर्णत: सक्षम भी हैं।
संभवत: इसीलिए वादी रमाकांत कौशिश ने उच्च न्यायालय का रुख किया। उच्च न्यायालय ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए अब पूरी जांच एसएसपी मथुरा की निगरानी में और समय रहते पूरी करने के आदेश-निर्देश दिए हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय रमेश सिन्हा और माननीय राजबीर सिंह ने 25 जुलाई के अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि एसएसपी मथुरा इस मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच अविलंब अपनी निगरानी में पूरी करवा कर जांच रिपोर्ट संबंधित न्यायालय को सौंपें। उच्च न्यायालय ने इसके लिए अधिकतम चार महीने का समय भी निर्धारित किया है।
इस संबंध में जब वादी रमाकांत कौशिक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हम शीघ्र ही कोर्ट के आदेश की कॉपी लेकर एसएसपी मथुरा से मुलाकात करेंगे जिससे आरोपी डालचंद और उसके सहयोगी जांच में विलंब का लाभ न उठा सकें।
रमाकांत कौशिक के अनुसार उन्होंने पूर्व में भी पुलिस के उच्च अधिकारियों से मिलकर जांच सही तरीके से न किए जाने की बात कही थी किंतु उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया इसीलिए उन्हें मजबूरन इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा। उच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता को समझा और एसएसपी मथुरा को इसके लिए निर्देशित किया है।
उन्होंने अब निष्पक्ष एवं त्वरित जांच किए जाने की उम्मीद जताई है।
-Legend News