सिविल सोसायटी ने की DBAU में भ्रष्टाचार की जांच की मांग
आगरा। सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने डा. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति से विगत 5 वर्षों के दौरान अर्थात् 2015 से लेकर 2020 तक विवि के कामकाज में भ्रष्टाचार की उप्र शासन खुली जांच करवाने की मांग की है।
सिविल सोसायटी के पदाधिकारियों ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि जांच के बाद विश्वविद्यालय आगरा में निर्माण, नियुक्तियों , प्रोन्नतियां और सेवा कर्मियों के प्रोवीडेंट फंड के प्रबंधन को लेकर बड़े पैमाने पर घपले व उनमें संलिप्तों के विरुद्ध उचित कार्यवाही हो सकेगी। ये गड़बड़ियाँ इतने बड़े पैमाने पर हैं कि सक्षम अधिकारी नियुक्त कर खुली जांच से ही समाधान संभव है। इसके अलावा जांच भी शिक्षा सचिव स्तर के अधिकारी से करवाई जाए।
विवि के करप्शन पैटर्न पर बोलते हुए सिविल सोसायटी ने कहा कि अधिकांश अनियमितताओं की शुरूआत एक उपकुलपति के कार्यकाल में शुरू होकर दूसरे उपकुलपति के कार्यकाल तक पहुंचती है।
वि वि प्रशासन में भ्रष्टाचार का एक प्रत्यक्ष उदाहरण है ललित कला अकादमी, जिसके भवन का निर्माण करवाने को करोड़ों रूपये खर्च कर दिए गये जबकि उसकी जमीन तक विवि के नाम नहीं है। राजस्व विभाग के रिकार्डों में इसे सही किया जाये।
ज्ञात हुआ है कि इस भवन को बनवाये जाने का काम बिना आगरा विकास प्राधिकरण से नक्शा पास करवाये किया गया है जबकि इतने बड़े अनावासीय- बहुउद्धेश्यीय भवन को बनाये जाने के लिये आगरा विकास प्राधिकरण ही नहीं ताज ट्रिपेजियम जोन प्राधिकरण से भी अनुमति जरूरी होती है। ललित कला संकाय के नाम पर जिस बहुउद्धेश्यीय भवन सहित विवि के द्वारा जो निर्माण कार्य करवाया गया है, उस पर एक प्रतिशत की दर से निर्माण पर खर्च किये गये १४५ करोड़ के अनुपात में श्रम विभाग को उपकर जमा करवाना था। अब इस उपकर को संग्रहित करने के लिये उत्तर प्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड- के सचिव ने उप श्रमायुक्त से कहा है। इसके अलावा पुराने भवन को ढहाने पर मलवा शुल्क और नये निर्माण में जलमूल्य भी अदा करना होगा।
सिविल सोसायटी के पदाधिकारियों ने कहा कि निजी महाविद्यालयों की संबद्धता आदि अन्य मदों के माध्यम से अर्जित इस धन राशि का एक भी रुपया संबद्ध प्राइवेट संस्थानों के संसाधनों में योगदान बढ़ाने पर खर्च करना जरूरी नहीं समझा गया। अगर वि वि प्रबंधन जरा सी भी कुशलता का परिचय देता तो निर्माण को जरूरी धन प्रदेश सरकार के अन्य विश्वविद्यालयों के समान ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से लेकर आया होता।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने संतोष व्यक्त किया है कि राजभवन ने उसकी शिकायतों को गंभीरता से लिया है और विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब तलब किया है। परिणामस्वरूप अब तक ललित कला अकादमी के डायरेक्टर का पद सांख्यिकी विभाग के शिक्षक को दिया हुआ था लेकिन सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के विरोध दर्ज कराने के बाद, अब इसे आगरा कॉलेज के ललित कला के शिक्षक को दिया गया है।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का कहना है कि विवि के स्टाफ के काटे जा रहे जीपीएफ में बरती जाती रही अनियमित्ता को तत्काल दुरुस्त किया जाये। इस धन का सुरक्षित और अधिकतम लाभकारी निवेश किया जाये जिससे कि रिटायर्ड होने वाले कर्मचारियों के लाभों में कमी न रहे।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने मांग की है कि जीपीएफ के सम्बन्ध में विवि प्रशासन सरकार या प्रोवीडैंट फंड विभाग से मार्गदर्शन ले तथा मौजूदा स्थिति सार्वजनिक करे।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा विवि के कोर्सों में कटौती किये जाने को लेकर भी गंभीर है और इसे विद्यार्थियों के शिक्षा अवसर सीमित करने वाला मानती है । सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने कहा है कि विवि के विभागों के कम होने को लेकर मंडल के जन प्रतिनिधियों से कुलपति महोदय को संवाद करना चाहिये। इसके लिये उन्हें मीटिंग कर बुलाया जाना चाहिये। दरअसल विश्वविद्यालय और उसके संबद्ध महाविद्यालयों में कोर्सों का कम होना, सरकार की छवि पर प्रतिकूल असर डालता है। इसलिये कम से कम उन लोगों को इस समबन्ध में जरूर मालूम होना चाहिये जो इस मामले में शासन में अहम भूमिका निर्वाहन कर सकने में सक्षम हैं।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा उप्र शासन के शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त अनियमितताओं को दूर करने के प्रयासों को सामायिक जरूरत के रूप में देखती है और मानती है कि जौहर विवि रामपुर के विरुद्ध जो सख्ती अपनायी गयी वही अनियमितताओं में संलिप्त अन्य शिक्षा परिसरों के विरुद्ध भी अमल में लायी जाये तथा करोड़ों रुपये खर्च कर बनवाये गये भवनों को ध्वस्त न करवा के फिलहाल अनियमितताओं को दूर करवाया जाये।
– Legend News