इस्तीफा देने के एक दिन बाद भाजपा सांसद का यू-टर्न, पार्टी छोड़ने का विचार त्यागा
अहमदाबाद। भाजपा से इस्तीफा देने के एक दिन बाद, गुजरात से लोकसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनसुख वसावा ने बुधवार को कहा कि उन्होंने अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत के बाद पार्टी छोड़ने का विचार त्याग दिया है। मंगलवार को भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा था कि वह संसद के बजट सत्र के बाद लोकसभा सदस्य के तौर पर भी इस्तीफा दे देंगे।
गुजरात में आदिवासी बहुल क्षेत्र भरूच से छह बार के सांसद वसावा ने मंगलवार को कहा था कि वह भाजपा से केवल स्वास्थ्य समस्याओं के कारण इस्तीफा दे रहे हैं और उन्हें सरकार या पार्टी के साथ कोई समस्या नहीं है।
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से बुधवार सुबह गांधीनगर में मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुझसे कहा कि मैं अपनी पीठ और गर्दन के दर्द का मुफ्त इलाज तभी करवा पाऊंगा, जब मैं सांसद बना रहूंगा।’ यदि मैं एक सांसद के रूप में इस्तीफा देता हूं तो ऐसा संभव नहीं हो पाएगा। पार्टी के नेताओं ने मुझे आराम करने को कहा और आश्वासन दिया कि पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता मेरी ओर से काम करेंगे।
वसावा ने कहा, ‘मेरे पार्टी और सांसद के तौर पर इस्तीफा देने का एकमात्र कारण यह है कि मुझे स्वास्थ्य समस्याएं हैं। मैंने आज मुख्यमंत्री से भी इसके बारे में चर्चा की। अब भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से आश्वासन मिलने के बाद मैंने अपना इस्तीफा वापस लेने का फैसला किया है। मैं एक सांसद के रूप में अपने लोगों की सेवा करता रहूंगा।’
आदिवासी नेता ने दावा किया कि यह गलत धारणा है कि वह नर्मदा जिले के आदिवासियों से संबंधित कुछ मुद्दों पर सरकार या सत्तारूढ़ भाजपा से परेशान हैं, विशेष रूप से इको सेंसिटिव जोन में 121 गांवों को शामिल करने के बारे में। उन्होंने कहा, ‘राज्य और केंद्र सरकारें अपने सभी प्रयासों को इको सेंसिटिव जोन से संबंधित मुद्दों को हल करने में लगा रही हैं।’
बता दें कि वसावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले सप्ताह पत्र लिखकर मांग की थी कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नर्मदा जिले के 121 गांवों को पर्यावरण के लिहाज से इको सेंसिटिव जोन घोषित करने संबंधी अधिसूचना वापस ली जाए।
-एजेंसियां