वर्चुअल होगा वार्षिक निरंकारी संत समागम, 26 फरवरी से शुरू
मथुरा। अब एक बार फिर निरंकारी भक्त श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ महाराष्ट्र के प्रादेशिक निरंकारी संत समागम (Nirankari Sant Samagam) को देखने के लिए उत्सुक हैं।
निरंकारी प्रतिनिधि किशोर स्वर्ण ने बताया कि सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के प्रेरक मार्गदर्शन में महाराष्ट्र का 54 वां तीन दिवसीय प्रादेशिक निरंकारी सन्त समागम 26 फरवरी से शुरू होने वाला है। कोरोना वायरस का संक्रमण अभी भी पूर्णतया थमा नहीं है इस बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा कोविड-19 के बारे में जारी किए गये दिशा-निर्देशों के अनुसार संत समागम का आयोजन वर्चुअल रूप में होगा, जिसे विश्वभर के लाखों श्रद्धालु घर बैठे लाइव देख सकेंगे।
उन्होंने बताया कि वैश्विक महामारी के समय जहां हर कोई सहमा रहा, चिंतित रहा, वहीं सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने निरंतर अपना आशीर्वचन प्रदान कर, गुरूसिख-भक्तों का मनोबल बढ़ाये रखा और निरंकार प्रभु के प्रति विश्वास मजबूत किया। सद्गुरु माता जी ऑनलाइन संदेश देकर भक्ति के विविध पहलुओं श्रद्धा, विश्वास, प्रेमाभक्ति, व्यवहारिक आध्यात्मिकता, सहनशीलता और विशालता के भावों से भक्तों को मजबूती प्रदान की।
मथुरा के जोनल इंचार्ज एच के अरोड़ा ने बताया कि महाराष्ट्र के 54 वें तीन दिवसीय प्रादेशिक निरंकारी सन्त समागम का संपूर्ण वर्चुअल प्रसारण निरंकारी मिशन की वेबसाईट ( nirankari.org ) तथा एक टीवी चैनल (संस्कार टीवी) पर 26 से 28 फरवरी तक तीनों दिन सायं 5 से रात्रि 9 बजे तक प्रसारित किया जायेगा। इसे मथुरा जोन के भक्तों के साथ ही विश्वभर के लाखों श्रद्धालु लाइव देखेंगे।
उन्होंने बताया कि प्रकृति में निरंतर परिवर्तन होता रहता है और कई प्रकार की उथल-पुथल होती रहती है। केवल एक परमसत्य परमात्मा ही स्थिर है। जिस मनुष्य का नाता एकरस रहने वाली सत्ता परमात्मा से जुड़ जाता है, तो उसके जीवन में ‘स्थिरता’ आ जाती है और हर परिस्थिति में एकरस रहने की शक्ति मिल जाती है। महाराष्ट्र के संत समागम के मुख्य विषय “स्थिरता” के माध्यम से यही पावन सन्देश वर्चुअल रूप में जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास किया जायेगा।
तीनों दिन वक्ता “स्थिरता” पर आधारित अपने विचार व्यक्त करेंगे, वहीं गीतकार और कविजन भी अपनी प्रेरक एवं भक्तिमय प्रस्तुति देंगे। तीनों दिन रात्री साढ़े आठ बजे से सद्गुरु माता सुदिक्षा जी महाराज के आशीर्वचनों का लाभ भी भक्तों को मिलेगा।