एकेडेमी सम्मान फिर होगा शुरू, गुरु गोरखनाथ सम्मान में मिलेंगे 5 लाख
इलाहाबाद। हिन्दुस्तानी एकेडेमी में दो दशक से बंद एकेडेमी सम्मान फिर शुरू होने वाला है। पुरस्कार के लिए एकेडेमी की ओर से सरकार को भेजे गए वित्तीय प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। इसके तहत हिन्दी-उर्दू के अलावा क्षेत्रीय बोलियों के विद्वानों को 50 हजार से पांच लाख रुपये तक के प्रतिष्ठित एकेडेमी पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इसमें नाथ साहित्य के प्रणेता गुरु गोरखनाथ के नाम पर एकेडेमी सम्मान पांच लाख रुपये का दिया जाएगा। गुरु गोरखनाथ को आदिकाल का पहला कवि व नाथ संप्रद्राय का प्रणेता माना जाता है। इसी संप्रदाय की परंपरा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपासक हैं इसलिए एकेडेमी का यह श्रेष्ठ सम्मान भी सीएम की धार्मिक विरासत से जुड़ा माना जाता है।
मुंशी प्रेमचंद को मिला था पहला सम्मान
नौ दशक पुरानी हिन्दुस्तानी एकेडेमी की स्थापना से ही प्रतिष्ठित एकेडेमी पुरस्कार मिलने की परंपरा रही है। इसका पहला सम्मान मुंशी प्रेमचंद को दिया गया था। 1997-98 में प्रख्यात समालोचक डॉ. नामवर सिंह को पुरस्कृत किए जाने के बाद पुरस्कार मिलना बंद हो गया। लेकिन नवनियुक्त एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह की पहल पर पुरस्कार फिर शुरू किया जा रहा है।
मिलने वाले पुरस्कार
1-गुरु गोरखनाथ सम्मान : पांच लाख रुपये
2-गोस्वामी तुलसीदास एकेडेमी सम्मान : 2.50 लाख
3-भारतेन्दु नाट्य एकेडेमी पुरस्कार : 2.50 लाख
4- आचार्य महावीर प्रसाद एकेडेमी पुरस्कार : दो लाख
5-मीराबाई एकेडेमी पुरस्कार : एक लाख
6-फिराक गोरखपुरी एकेडेमी पुरस्कार : एक लाख
7-युवा लेखन एकेडेमी पुरस्कार : 50 हजार
8-क्षेत्रीय बोलियों में भोजपुरी, अवधी, ब्रज, बुंदेली के लिए : एक-एक लाख रुपये के चार पुरस्कार
राष्ट्रीय स्तर पर आमंत्रित होंगे आवेदन
एकेडेमी सम्मान के लिए लेखकों से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। इसकी प्रक्रिया अगस्त तक शुरू हो जाएगी। प्राप्त आवेदनों को पुरस्कार चयन समिति अंतिम निर्णय लेगी।
नाथ संप्रदाय के प्रणेता हैं गुरु गोरखनाथ
एकेडेमी के सचिव व साहित्यकार रविनंदन सिंह के अनुसार नाथ संप्रदाय के पहले गुरु जलंधरनाथ थे। उनके शिष्य मत्स्येन्द्र नाथ हुए और उनके शिष्य गुरु गोरखनाथ हुए…इस तरह नाथ संप्रदाय की वंश परंपरा। इनके नाम पर ही गोरखपुर का नामकरण हुआ। इस तरह नाथ साहित्य के प्रणेता गोरखनाथ को अनेक सिद्धियां प्राप्त थीं। इनके उपदेशों में योग और शैव तंत्रों का सामंजस्य है। गुरु गोरखनाथ की चालीस से अधिक कृतियों की मौलिक रचना की।
हिन्दुस्तानी एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह के अनुसार, एकेडेमी के विकास व संवर्धन के लिए प्रदेश सरकार की ओर से बजट की संस्तुति हुई है। पुरस्कार की रूपरेखा, धनराशि व नाम तय करना एकेडेमी के अधीन है। बंद पुरस्कारों को शुरू करने से एकेडेमी की समृद्ध परंपरा को नई गति मिलेगी।
-एजेंसी