कुंभ में स्वयं का पिंडदान करके 2 हजार बने Naga संन्यासी, विदेशी भी बने नागा
प्रयागराज कुंभपर्व में जूना अखाड़े की ओर से 2 हजार साधुओं को Naga सन्यासी बनाने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। इसके तहत गंगा किनारे जुटे साधुओं ने खुद के लिए सत्रहवां पिंडदान किया और संन्यासी बन गए।
संकल्प के तहत अवधूतों को Naga बनाने की प्रक्रिया के तहत सबसे पहले मुंडन संस्कार कराया गया। इस दौरान अखाड़े के कोतवाल, धर्मदंड लेकर उन्हें नियंत्रित करते रहे।
फिर गंगा स्नान, भस्म स्नान, गोमूत्र, गाय के गोबर, पंचगव्य, पंचामृत स्नान, गंगा स्नान के बाद लंगोटी दी गई। यज्ञोपवीत के बाद उन्हें परंपरानुसार पलाश का दंड और कुल्हड़ का कमंडल दिया गया।
काशी के पुरोहितों डॉ.रविशंकर तिवारी, आचार्य जितेंद्र मणि त्रिपाठी, आचार्य संतोष जी, आचार्य बचऊजी और उज्जैन के आचार्य संजय बधेका के आचार्यत्व में पिंडदान के बाद सभी ने गंगा में पिंडों को विसर्जित किया।
आधी रात के बाद विजयाहवन संस्कार किया गया। इससे पहले ओम नम:शिवाय का जाप भी भोर तक जारी रहा। जूना के राष्ट्रीय महामंत्री नारायण गिरि के मुताबिक मौनी अमावस्या स्नानपर्व (चार फरवरी) की भोर में अखाड़े की छावनी में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के आचार्यत्व में संकल्प और संस्कार दीक्षा के बाद इन सभी संन्यासियों की लंगोटी खोलकर उन्हें नागा बनाया जाएगा।
इसके बाद सभी मौनी अमावस्या के दूसरे शाही स्नानपर्व पर अखाड़े की शोभायात्रा के साथ शामिल होंगे। गंगा किनारे हुए अनुष्ठान में तक्षक पीठाधीश्वर रविशंकर सहित अनेक संत, संन्यासी मौजूद थे।
अमेरिका, आस्ट्रिया से भी आए बनने नागा
जूना की पहल पर हजारों की संख्या में Naga बनने के लिए जुटे साधुओं में से अनेक विदेशी भी रहे। इसमें अमेरिका के रूछ गिरि, आस्ट्रिया के सागर गिरि, उक्रेन के शंभू गिरि आदि शामिल थे।
खास यह कि पूरे संस्कार के दौरान इन साधुओं की दृढ़ता में कहीं कोई कमी नहीं नजर रही। उन्होंने अन्य साधुओं की तरह वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पुरोहितों के निर्देशों का पालन किया, मंत्र पढ़े और पितरों सहित स्वयं के निमित्त पिंडदान किया।
नागा संन्यासियों के शरीर पर लगाने के लिए बाबा विश्वनाथ मंदिर की भभूत और दंड बनाने के लिए पलाश सहित अन्य पूजा सामग्री काशी से लाई गई।
नागा बनाने के लिए किसी भी तरह के जाति बंधन से सभी मुक्त रखा गया। संन्यासियों में मुस्लिम और ईसाई छोड़कर सभी जातियों के साधु शामिल थे।
-Legend News