संस्कृति यूनिवर्सिटी में Faculty डेवलपमेंट पर हुई कार्यशाला
Faculty परिणाम आधारित शिक्षा पर ध्यान दें- कुलाधिपति सचिन गुप्ता
मथुरा। बदलते समय के साथ शिक्षा का स्वरूप भी तेजी से बदल रहा है। ऐसे में जरूरी है कि हम शिक्षा में वैश्विक बदलाव को न केवल आत्मसात करें बल्कि युवा पीढ़ी को भी उस बदलाव से अवगत कराएं। आज की युवा पीढ़ी को परिणाम आधारित शिक्षा की जरूरत है लिहाजा हम उन्हें तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए विश्वभर में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अपनाये जा रहे श्रेष्ठ अभ्यासों के बारे में विस्तार से समझाएं, उक्त उद्गार संस्कृति यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने Faculty Development कार्यशाला में प्राध्यापकों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्री गुप्ता ने कहा कि शिक्षा हमारी अंतर्निहित शक्तियों को उभार कर ज्ञान में परिवर्तित करती है। शिक्षा ही हमें बौद्धिक रूप से सक्षम और तकनीकी रूप से कुशल बनाती है। ज्ञान के साथ-साथ विद्यार्थियों में मानवीय मूल्यों का विकास किया जाना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बदलते परिदृश्य में नवाचार को समाहित करने के साथ, शिक्षा व्यवस्था में स्थानीय मांग और आवश्यकता के अनुरूप माडल विकसित करना भी जरूरी है। शिक्षा को रोजगार से जोड़ने के साथ-साथ उत्तम नागरिक बनाना भी शिक्षा का ही उद्देश्य होना चाहिए।
कुलपति डा. राणा सिंह ने कहा कि शिक्षा व्यक्तित्व का रूपांतरण, मानव शक्तियों का परिष्कार करते हुए जीवन के उच्च आदर्शों और उन्नति की ओर ले जाती है। भारतीय संस्कृति समन्वय की पूर्णता और अखंडता की संस्कृति है। शिक्षा पद्धतियों में बदलाव करते समय हमें अपनी संस्कृति को अनदेखा नहीं करना चाहिए। लोक व्यवहार में भी सभी के मंगल और समन्वय की अभिलाषा अभिव्यक्त होनी चाहिए। कुलपति डा. सिंह ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा दिल्ली में आयोजित कुलपतियों की बैठक में हुई चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा कि उस बैठक में कौशलपरक शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। खुशी की बात है कि संस्कृति यूनिवर्सिटी इस दिशा में पहले से ही ठोस प्रयास कर रही है।
प्रति-कुलपति डा. अभय कुमार ने प्राध्यापकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा पद्धति में परिणाममूलक सुधार समय की मांग है। हमारा दायित्व है कि हम युवा पीढ़ी को जीवन मूल्यों, संस्कारों से अवगत कराने के साथ उन्हें सकारात्मक सोच का बोध कराएं ताकि वे किसी प्रतियोगिता में स्वस्थ मानसिकता के साथ हिस्सेदार बनें। कार्यकारी निदेशक पी.सी. छाबड़ा ने कहा कि भारतीय शिक्षा पद्धति एवं जीवन शैली पुराने और नये मूल्यों के बीच सामंजस्य बनाये रखने में सक्षम है।
संस्कृति यूनिवर्सिटी में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किये जा रहे हैं, जिसमें परिणाम आधारित शिक्षा प्रणाली को लागू करना एक महत्वपूर्ण पहल है। विभागाध्यक्ष प्रबंधन डा. निर्मल कुण्डू ने विश्वविद्यालय में विकास के नये अवसर तथा वातावरण सृजित करने में योगदान के लिए कुलाधिपति श्री सचिन गुप्ता का आभार माना।