संस्कृति यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी बड़ी कम्पनियों में लेंगे Summer training
Summer training के लिए कम्पनियों में इंडियन रेलवे, बीएचईएल, टाटा मोटर्स, एस्कॉर्ट लिमिटेड, विप्रो आदि शामिल
मथुरा। कहते हैं जिंदगी में कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता है और समय आने पर हर एक चीज जो आपने दिल से सीखी है वह अपना फल जरूर देकर जाती है। इसी ध्येय वाक्य को लेकर संस्कृति यूनिवर्सिटी के टेक्निकल स्टूडेंट्स ने गर्मी की छुट्टियों में देश की जानी-मानी कम्पनियों में विशेष ट्रेनिंग लेने का मन बनाया है।
Summer training को लेकर छात्र-छात्राओं में काफी उत्साह है। स्टूडेंट्स का कहना है कि टेक्निकल एज्यूकेशन में सिर्फ किताबी ज्ञान ही पर्याप्त नहीं होता।
ज्ञातव्य है कि संस्कृति यूनिवर्सिटी युवा पीढ़ी को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में दक्ष करने के लिए न केवल लेटेस्ट टेक्निक को प्रमुखता दे रही है बल्कि उसके प्रयास हैं कि यहां अध्ययन करने वाला हर छात्र बड़ी-बड़ी कम्पनियों की जरूरतों और उसकी कार्यप्रणाली से भी समय-समय पर रू-ब-रू होता रहे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने इंडियन रेलवे, बीएचईएल, टाटा मोटर्स, एस्कॉर्ट लिमिटेड, भिलाई स्टील प्लांट, उत्तर प्रदेश जल निगम, पी.डब्ल्यू.डी., आर.ई.एस., जिंदल ग्रुप, टी.सी.एस., विप्रो, एरिस्ट्रोकेट, बी.पी.सी.एल., मारुति उद्योग, हीरो ग्रुप आदि ख्यातिनाम कम्पनियों से सम्पर्क कर यहां टेक्निकल एज्यूकेशन हासिल कर रहे दूसरे और तीसरे साल के छात्र-छात्राओं को 45 से 60 दिनों की समर ट्रेनिग दिलाने का फैसला लिया है।
संस्कृति यूनिवर्सिटी के हेड कार्पोरेट रिलेशन आर.के. शर्मा का कहना है कि इस समर ट्रेनिंग में सिविल इंजीनियरिंग के 63, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के 84, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के 41, कम्प्यूटर साइंस के 28, फैशन डिजाइनिंग के 31, बी.बी.ए. के 22 तथा एम.बी.ए. के 27 छात्र-छात्राएं 45 से 60 दिनों की समर ट्रेनिग के लिए सुप्रसिद्ध कम्पनियों में जा रहे हैं। श्री शर्मा का कहना है कि छात्र-छात्राओं की स्किल डेवलपमेंट के लिए हीरो ग्रुप के साथ विशेष अनुबंध किया गया है तथा दूसरे औद्योगिक इकाइयों से भी अनुबंध प्रक्रिया चल रही है। मैनेजर कार्पोरेट रिलेशन तान्या उपाध्याय का कहना है कि हर एक स्टूडेंट में कुछ न कुछ खास बात होती है। संस्कृति यूनिवर्सिटी का प्रयास है कि गर्मी की छुट्टियां स्टूडेंट्स में छिपे टैलेंट को निखारने के काम आएं। उम्मीद है कि छात्र-छात्राओं के लिए यह समर ट्रेनिंग काफी उपयोगी साबित होगी।
उप-कुलाधिपति राजेश गुप्ता का कहना है कि स्टूडेंट्स को कभी खाली नहीं बैठने देना चाहिए क्योंकि इससे उनकी क्रिएटिविटी प्रभावित होती है। समर ट्रेनिंग से छात्र-छात्राओं को स्वयं को पहचानने का अवसर मिलता है और उनका टैलेंट निखरता है। हमारा प्रयास है कि संस्कृति यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स गर्मियों की छुट्टियों का सही इस्तेमाल करें ताकि शिक्षा पूरी करने से पहले वे किसी न किसी बड़ी कम्पनी में अपना करियर बना सकें। श्री गुप्ता ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वे Summer training के लिए जिस भी कम्पनी में जाएं, पूरी निष्ठा से जानकारी हासिल करें।