उद्धव सरकार की सिफारिश के बावजूद ‘पद्म पुरस्कार’ से वंचित रह गए संजय राउत
मुंबई। केंद्र सरकार की तरफ से 119 लोगों को पद्म पुरस्कार से नवाजा जाएगा। इसमें महाराष्ट्र के दिग्गजों का भी समावेश है। हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने जिन लोगों की सिफारिश की थी। उनमें से सिर्फ एक व्यक्ति को ही यह पद्म सम्मान मिलेगा। ठाकरे सरकार ने शिवसेना सांसद संजय राउत, कंगारुओं को धूल चटाने वाले क्रिकेटर अजिंक्य रहाणे, मसाला किंग धनंजय दातार जैसे लोगों के नाम भेजे थे जिनमें से सिर्फ सामाजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सकपाल को पद्मश्री पुरस्कार दिया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा इस बार महाराष्ट्र से संबंधित 6 लोगों को यह पुरस्कार दिया जाएगा
ठाकरे सरकार ने की थी 98 नामों की सिफारिश
महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने पद्म पुरस्कारों के लिए केंद्र सरकार के पास 98 दिग्गजों की लिस्ट भेजी थी। जिसमें शिवसेना सांसद संजय राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के सांसद डॉ. अमोल कोल्हे का भी नाम था। इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला, जाने-माने अभिनेता विक्रम गोखले, फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित, अभिनेता सुबोध भावे जैसे सुप्रसिद्ध नामों को भी भेजा गया था। हालांकि केंद्र की तरफ से सिर्फ एक व्यक्ति का ही चुनाव किया गया है। बाकी लोगों को अब अगली बार का इंतजार करना पड़ेगा। सरकार ने सिंधुताई सकपाल का भी नाम पद्म पुरस्कार के लिए भेजा था जिनको केंद्र ने इस पुरस्कार के लिए चुना है।
अनाथों की मां हैं सिंधुताई सकपाल
केंद्र सरकार द्वारा पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वाली सिंधुताई महाराष्ट्र में अनाथ बच्चों के लिए काम करती हैं अनाथ बच्चों की तरफ से उन्हें ‘अनाथों की मां’ का भी दर्जा मिला हुआ है। उन्होंने साल 1994 में अनाथ बच्चों की देखभाल के लिए ममता बालसदन नाम की संस्था की शुरुआत की थी। यह संस्था पुणे के पास पुरंदर तहसील के कुंभार वलन गांव में शुरू की गई थी। सिंधुताई ने अपनी बेटी ममता को दगडूशेठ हलवाई की संस्था की तरफ से पढ़ाई के लिए सेवासदन में भर्ती करवा दिया था। जबकि खुद अनाथ और लावारिस बच्चों की देखभाल का काम शुरू किया।
सभी को शिक्षा देती है सिंधुताई की संस्था
सिंधुताई की संस्था में छोटे बच्चों को सभी प्रकार की शिक्षा दी जाती हैं। उन्हें भोजन कपड़े समेत अन्य जरूरी चीजों को भी संस्था की तरफ से उपलब्ध करवाया जाता है। पढ़ाई पूरी होने के बाद इन बच्चों को आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी बनाने के लिए संस्था की तरफ से मार्गदर्शन भी किया जाता है। जब ये बच्चे आत्मनिर्भर हो जाते हैं तो संस्था की तरफ से इन बच्चों की शादी भी करवाई जाती है। अब तक इस संस्था में तकरीबन 1050 बच्चे रह चुके हैं।
-एजेंसियां