रिपोर्ट: पाकिस्तान से जुड़े वॉट्सऐप ग्रुप भड़का रहे हैं कश्मीरी युवाओं को
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में 79 वॉट्सऐप ग्रुप युवाओं को भड़काने और नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। इनसे 6 हजार 386 फोन नंबर जुड़े हैं। जिनमें से 1000 नंबर पाकिस्तान और खाड़ी देशों में एक्टिव पाए गए। ये ग्रुप युवाओं को पत्थरबाजी के लिए इकट्ठा करने का काम करते हैं। कश्मीर में 2017 में हुए उपद्रव की जांच के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को यह बात पता चली है।
ऑब्जरवेशन रिसर्च फाउंडेशन की ताजा रिपोर्ट में भी बताया गया है कि कश्मीर में पहले लोगों को मस्जिद के लाउडस्पीकर से अनाउंस करके भड़काया जाता था। बाद में घर-घर जाकर संदेश दिया जाने लगा। अब यही काम सोशल मीडिया के जरिए किया जा रहा है। सुरक्षाबलों और जांच एजेंसियों के लिए यह साइबर जिहाद बड़ी चुनौती बन गया है।
पाक में बैठे आका: जांच में पता चला है कि इन वॉट्सऐप ग्रुप के ज्यादातर एडमिनिस्ट्रेटर पाकिस्तान में हैं। 2017 में पत्थरबाजी के लिए भीड़ जुटाने और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए 300 से ज्यादा वॉट्सऐप ग्रुप का इस्तेमाल किया गया।
8 साल में 180% बढ़े इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले : दो साल पहले बुरहान वानी के एनकाउंटर के वक्त आतंकियों ने सोशल मीडिया को हथियार की तरह इस्तेमाल किया। इसके बाद यह चलन बढ़ता गया। बंदूक थामे या आतंकवाद की ट्रेनिंग लेते युवा, एनकाउंटर में मारे गए आतंकी और सुरक्षाबलों के गलत व्यवहार के झूठे फोटो-वीडियो खूब पोस्ट किए जा रहे हैं। कश्मीर में 2010 तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले युवा 25% थे जो 2015 में 70% हो गए। यानी, इसमें 180% का इजाफा हुआ।
नौ साल में 523 युवा आतंकी बने, बीते तीन साल में ही 300
साल कितने युवा आतंकी बने
2010 54
2011 23
2012 21
2013 06
2014 53
2015 66
2016 90
2017 120
2018 90
9 साल 523
इंटरनेट कर्फ्यू : 2016 में बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार ने पांच महीने घाटी इंटरनेट कर्फ्यू लगा दिया। इस दौरान 3जी-4जी नेटवर्क बंद किए गए। हालांकि, सरकार, प्रशासन और सुरक्षाबलों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला बीएसएनल नेटवर्क काफी हद तक काम करता रहा। लेकिन आतंकवादियों और अलगाववादियों ने इंटरनेट कर्फ्यू का भी तोड़ निकाल लिया और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के जरिए सोशल मीडिया ऐप का इस्तेमाल किया। कश्मीर में 2012 से 2017 के बीच 57 बार ई-कर्फ्यू लगाया गया। अकेले 2017 में ही ऐसा 29 बार हुआ। ब्रुकिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 से 2016 के बीच ई-कर्फ्यू से देश को 6,548 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
-एजेंसी