अब Parag milk एक्सपोर्ट भी किया जायगा: महाप्रबंधक इंंदु भूषण सिंह
वर्ष 1976 में प्रादेशिक कॉपरेटिव डेरी फेडरेशन के सहयोग से Parag milk डेरी का शुभारम्भ फैज़ाबाद जनपद में शुरू हुआ
फैज़ाबाद। पराग वह नाम जिसके सुनते ही विश्वसनीयता व् शुद्धता का ख्याल सभी के मन मस्तिष्क में आने लगता है। Parag milk की नींव वर्ष 1976 में शुद्धता व् विश्वसनीयता के रथ पर सवार होकर प्रादेशिक कॉपरेटिव डेरी फेडरेशन के साथ आपरेशन फ्लड योजना के अंतर्गत शुरू किया गया और उन्नति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ता ही गया।
Parag milk के उप दुग्धशाला विकास अधिकारी / महाप्रबंधक इन्दु भूषण सिंह का मानना है कि मैं अभी पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हूं, हमारा मानना है कि पराग की उचाईयां और अधिक हैं, हमे वहां तक पहुंचना है और अपने देश क्या विदेशों तक हम इसे एस्पोर्ट करेंगे।
पराग नाम जिसे अपनी पहचान बताने की जरूरत नहीं है, शुरुआत के दौर में संघर्ष जरूर देखा इसने उस समय पराग केवल किसानों व ग्वालाओं से दूध खरीद कर एकत्रित कर उसे लखनऊ भेजता था। उसके बाद लखनऊ से दूध की पैकिंग कर बाजार में बिक्री के लिए भेजा जाता था किन्तु पराग का संघर्ष रंग लाया और करवां आगे बढ़ते हुए वर्ष 1991 में उ. प्र. शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलने लगा। सहकारी दुग्ध समिति के अंतर्गत उत्पादन शुरू होने लगा, वर्ष 1995 में पराग अपने ग्राहकों के लिए दूध के अतिरिक्त दूध से निर्मित कई अन्य उत्पादक जैसे की खीर, मठ्ठा, देशी घी इत्यादि लांच किया जिसे ग्रहकों ने भी काफी पसंद किया। राज्य दुग्ध परिषद् का गठन होने के बाद पराग के रथ का पहिया दिनोंदिन उन्नति की ओर आगे बढ़ता जा रहा था। वर्ष 2016 में पराग फैज़ाबाद जिले से बाहर छलांग लगाते हुए फैज़ाबाद मंडल के पांचों जिलों तक अपनी पहचान बनाते हुए कवर कर लिया। आज पराग का मंडल में 550 दुग्ध बिक्री केंद्र व बीस मिल्क बार केंद्र हैं।
इतना ही नहीं पराग का बाजार में 18 प्रकार के अन्य उत्पादन हैं जिन्हें ग्रहक काफी पसंद भी कर रही है। पराग मिल्क के उप दूध शाला विकास अधिकारी /महाप्रबंधक इन्दु भूषण सिंह ने कहा की पराग की अपनी अलग पहचान है आज प्रतियोगिता के दौड़ में भी पराग अपनी शुद्धता व विश्वसनीयता के बदौलत ही अग्रणी दुग्ध उत्पादकों में गिना जाता है। हम क्वालिटी से कभी समझौता नहीं करते हैं। उन्होंने कहा की हम अपने ग्राहकों को जल्द ही ऑनलाइन उत्पादक प्रदान करने जा रहे हैं, साथ ही दुग्ध समितियों को भी ऑनलाइन कर दूध की बिक्री व किसानों का भुगतान किया जायगा।
श्री सिंह ने बताया कि उ. प्र. सरकार के सहयोग से चिलिंग प्लांट के माध्यम से दूरदराज के गाँवो में ही दूध ठंडा करने की सुविधा प्रदान करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा की पराग परिसर में ही नई फैक्ट्री निर्माणाधीन है, उसके पूर्ण होते ही अति आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर पराग को राष्ट्रीय क्या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हम विदेशों तक एक्सपोर्ट करेंगे जिसकी कार्यवाही चल रही है आने वाले समय में परिणाम दिखेंगे।
-संदीप श्रीवास्तव