अब तो मेरे साथ आप भी गर्व से कहिए कि ‘हेमा जी’ हमारी सांसद हैं
RTI डाले बिना कल जब से मुझे यह ज्ञात हुआ है कि बॉलीवुड की मशहूर सिने तारिका और भाजपा सांसद हेमा मालिनी जी ने ‘श्रीराम मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान’ के तहत अपनी ”एक लाख एक हजार रुपए की संपत्ति” समर्पित कर दी है, तब से मेरा सीना गर्व से चौड़कर इतना हो गया है कि एक दिन पुरानी शर्ट भी उसे ढक नहीं पा रही।
अधिकांश लोगों की धारणा है कि इंसान अपनी हैसियत के मुताबिक ही ‘दान’ करता है किंतु हमारी सांसद हेमा जी ने नई नजीर पेश करके बता दिया कि कुछ विरले लोग हैसियत के परे जाकर भी दान करने की हिम्मत रखते हैं।
2019 के लोकसभा चुनावों में निर्वाचन आयोग को दी गई जानकारी के मुताबिक हेमा जी की कुल निजी संपत्ति ”मात्र 125 करोड़ रुपए” हुआ करती थी। इसमें यदि अभिनेता पति धर्मेन्द्र की भी जोड़ दें तो यह कुल जमा ढाई सौ करोड़ थी।
2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव तक हेमा जी की संपत्ति में यही कोई साढ़े चौंतीस करोड़ का ‘मामूली’ सा उछाल आया।
हेमा जी की दानशीलता, उदारता और भगवान श्रीराम के प्रति उनके इतने बड़े समर्पण भाव को देखकर मुझे इसलिए भी भारी गर्व हुआ क्योंकि मैं उसी मथुरा नगरी का वासी हूं जिसकी वह 2014 से लगातार सांसद हैं। वैसे तो 2014 में हुए उनके पहले निर्वाचन के बाद से ही मैं हर मौके पर अपना परिचय लोगों को इस रूप में ही देता हूं कि मैं हेमा मालिनी जी के संसदीय क्षेत्र का मतदाता हूं, किंतु कल से मेरा मन कर रहा है कि मैं कुछ और ऐसा करूं जिससे ये भाव मेरे मन में स्थायी तौर पर घर कर जाए।
दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने यह कहकर मेरे जैसे तमाम नाचीज मतदाताओं का दिल तोड़ दिया था कि 2024 का लोकसभा चुनाव वह मथुरा से नहीं लड़ेंगी इसलिए मुझे डर है कि कहीं उनके प्रति मेरी अगाध श्रद्धा में कोई कमी न आ जाए। ऐसे में मेरी इच्छा है कि हेमा जी की ‘लखटकिया’ समर्पण निधि को हमेशा के लिए मन मंदिर में बसा लूं।
खैर, सवा सौ करोड़ की संपत्ति में से एक लाख एक हजार रुपए की बड़ी रकम भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण को निकाल देना, वाकई किसी दुस्साहस से कम नहीं है। वो भी तब जबकि उन्होंने अपने प्रयासों से अभियान के पहले ही दिन अपने पांच ‘कार-खासों’ से करीब पांच लाख रुपए और दिलवा दिए हैं। साथ ही किसी के कान में जोर से बोलकर यह भी बताया है कि इसी प्रकार वह अपने अन्य कारखासों से 45 लाख और समर्पित कराएंगी।
समर्पण अभियान से जुड़े लोगों की मानें तो हेमा जी यदि अपने इन लोगों (जो समर्पण राशि दे चुके हैं और देने वाले हैं) को प्रेरित न करें तो किसी की मजाल नहीं कि कोई इनकी जेब से दमड़ी निकलवा ले। वो तो हेमा जी ने आगे बढ़कर ‘एक लाख’ जैसी बड़ी रकम का उदाहरण प्रस्तुत किया तो बाकी पांचों ने भी चुपचाप एक-एक लाख निकाल दिए।
सुना है हेमा जी बहुत प्रोफशनल हैं, वो जानती हैं कि पैसा ही पैसे को खींचता है इसलिए उन्होंने लाख रुपए की भारी-भरकम रकम निकालने में देर नहीं की अन्यथा वो 11 हजार से शुरू करतीं।
राम मंदिर के लिए हेमा जी के कारखासों द्वारा एक-एक लाख रुपया देने की कितनी अहमियत है, इसका तो पता नहीं परंतु इतना जरूर पता है कि हेमा जी ने अपनी संपत्ति में से जितनी बड़ी रकम समर्पित करने का जोखिम उठाया है, वैसा जोखिम उनके स्तर का दूसरा कोई अरबपति उठा नहीं सकता। उम्र के इस पड़ाव पर ‘खीसे’ में से इतना बड़ा दान कर देना हर किसी के बस की बात नहीं।
यही कारण है कि कल से मैं अत्यन्त गर्व की अनुभूति कर रहा हूं। मुझे इस बात पर अभिमान सा फील हो रहा है कि मैं हेमा जी के संसदीय क्षेत्र का निवासी हूं और ताजिंदगी यह कह सकता हूं कि मेरे जनपद की एक बार नहीं दो-दो बार वो हस्ती सांसद रही जिसने राम मंदिर निर्माण के लिए अपनी सवा सौ करोड़ की मामूली सी संपत्ति में से एक लाख एक हजार रुपए की बड़ी संपत्ति दान कर दी।
हो सकता है कि मंदिर निर्माण कराने वाली संस्था और निर्माण निधि समर्पण अभियान में जुटे लोग इस इतने बड़े दान का कोई शिलालेख न लगवाएं किंतु मैं मथुरा का जिम्मेदार मतदाता होने के नाते जनपद में किसी उपयुक्त स्थान का चयन करके इस पुनीत कार्य को अवश्य करवाऊंगा।
दरअसल, मैंने कुछ मनीषियों के श्रीमुख से सुन रखा है कि दान में राशि का नहीं… उस भावना का महत्व होता है जिसके तहत दान किया गया हो। हेमा जी की भावना का अंदाज लगाने को उनकी राशि ही काफी है।
जीवन भर पाई-पाई जोड़कर अथक मेहनत से इकठ्ठी की गई सवा सौ करोड़ की संपत्ति में से एक लाख रुपए की बड़ी रकम एक झटके में निकाल कर दान कर देने का माद्दा हेमा जी जैसी शख्सियत को ही शोभा देता है।
हेमा जी की शान में एकबार जोर से बोलिए….जय श्रीराम! हो गया काम। ईश्वर ऐसी उदारता हर अरबपति को दे देता तो संभवत: ‘श्रीराम मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान’ की जरूरत ही नहीं पड़ती।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी