हिन्दू जनजागृति समिति का दिल्ली में ‘अधिवक्ता अधिवेशन’ प्रारंभ
नई दिल्ली। उत्तर भारत हिन्दू अधिवेशन अंतर्गत ‘अधिवक्ता अधिवेशन’ का प्रारंभ दिल्ली में हुआ।
भारत सेवाश्रम संघ के आत्मज्ञानानंद महाराजजी, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारूदत्त पिंगळे जी, सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता हरिशंकर जैन जी, अधिवक्ता रविशंकर कुमार जी तथा अधिवक्ता आर. व्यंकटरमणिजी के हस्तों से आज दीप प्रज्वलन कर अधिवेशन का शुभारंभ किया गया।
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारूदत्त पिंगळे जी ने उपस्थित अधिवक्ताआें को संबोधित कर कहा कि, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य दैवी कार्य है। अधिवक्ता कानून को जानते हैं, तथा उसकी मर्यादाआें को भी जानते है । वह कानून की उपयुक्त शक्ति का उपयोग कर हिन्दुआें की सहायता कर सकते हैं । आपराधिक पार्श्वभूमि से आनेवाले सांसद लोकसभा मे जो कानून हमारे लिए बनाएंगे क्या वह जनहितकारी होगा ? धर्म की व्याख्या से कानून का उद्देश्य है – धर्म की रक्षा करना, व्यक्ति की रक्षा करना । किंतु आज कानून बनाए जाते हैं, मत पाने के लिए । उसका एक उद्ाहरण है, कर्नाटक में तत्कालीन भाजपा सरकारने गोहत्या प्रतिबंधक कानून बनाया, बाद में कांग्रेस ने सत्ता मे आते ही उसे रद्द कर दिया ।
हम कानूनी मार्ग से दबाव बनाकर सरकार के समक्ष अपनी मांगें रख सकते हैं । हिन्दू जनजागृति समिति ने सूचना के अधिकार का उपयोग कर कई मंदिरों के, राजनेताआें के भ्रष्टाचार को उजागर किया है । तथा जनहित याचिकाए भी दाखिल की । इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति तथा सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने हेतु भ्रष्टाचारी दांव पेंच लडा रहे हैं । जब अल्पसंख्यंकों के संगठित प्रयास के समक्ष शासन झुकता है, तब हिन्दुआें के एकजुट प्रयास के समक्ष भी सरकार को झुककर हमारी मांगे माननी ही होंगी । धर्मनिष्ठ और अधिवक्ता जब एकजुट होंगे तो हिन्दुआें को वास्तविक रूप में न्याय मिलेगा ।
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता आर. व्यंकटरमणिजी ने अपने वक्तव्य मे भारत मे चल रहे छद्म सेक्युलरवाद, तथा धर्मपरिवर्तन के षडयंत्र के संदर्भ में मार्गदर्शन किया ।