मछली पकड़ने का ठेका देना हाईकोर्ट की अवमानना
मथुरा। यमुना कार्य योजना को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों की अवहेलना करते हुए यमुना से जलीय जीवों का धड़ल्ले से शिकार किया जा रहा है। इसे देखते हुए उच्च न्यायालय में यमुना प्रदूष्ण को लेकर याचिका दायर करने वाले गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने आज जिला प्रशासन से मांग की है कि यमुना से जलीय जीवों का शिकार करने वाला ठेका निरस्त किया जाये।
मोक्षदायनी यमुना जी को लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी होने का गौरव प्राप्त है और लाखों श्रद्धालु ब्रज चैरासी कोस की यात्रा व यमुना स्नान का पुण्य प्राप्त करने प्रतिवर्ष यहां आते हैं। इसीलिए यमुना में विचरण करने वाले जलीय जीवों के शिकार को ब्रज क्षेत्र में आरंभ से ही निषिद्ध किया जाता रहा है।
गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने जिला प्रशासन को संबोधित पत्र में कहा कि मथुरा जनपद में होकर प्रवाहित हो रही यमुना नदी को प्रदूषणमुक्त करने की दृष्टि से उच्च न्यायालय में लंबित जनहित याचिका सं.-1644/1998 में पारित विभिन्न आदेशों के अनुरूप सरकार द्वारा ‘यमुना कार्य योजना’ बना कर संसाधनों के साथ साथ कुछ नियमों का निर्धारण भी किया है। यमुना कार्य योजना की सतत निगरानी हेतु कई कार्यदायी संस्थाओं को भी व्यापक अधिकार दिये गये। इसके अलावा यमुना क्षेत्र में खुले में शौच, वस्त्रों की धुलाई न होने देने, नदी में बहकर आने वाले शवों व जलीय जीवों (मछली, कछुआ आदि) के शिकार को रोकने हेतु ‘रिवर पुलिस’ का गठन भी किया गया है। इसी कारण केन्द्र सरकार ने भी ‘नमामि गंगे’ परियोजना में मात्र मथुरा जनपद को ही सम्मिलित किया है ।
इसके बावजूद मथुरा प्रशासन द्वारा यमुनाजी में मछली के शिकार का ठेका दिया जाना अत्यंत आपत्तिजनक है। अत: तीर्थ क्षेत्र की महत्ता का संज्ञान लेकर परंपरा के विरुद्ध किये गये ठेके को निरस्त कर धार्मिक भावनाओं की संरक्षा की जाये।